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सुह्य :- यह बंगाल की खाड़ी के समीप का स्थान है। वर्तमान मिदनापुर, हुगली और बर्दवान आदि जिले सुह्य में थें।
ब्रह्मोत्तर :- यह बर्मा का उत्तरी भाग है।
पूर्वदेश के पर्वत, नदियाँ तथा उत्पाद्य वस्तुएँ :
'काव्यमीमांसा' में पूर्वदेश के बृहद्गृह, लोहितगिरि, चकोर, दर्दुर, नेपाल, कामरूप आदि पर्वतों, शोण और लोहित नदों तथा गङ्गा, करतोया, कपिशा आदि नदियों का भी नामोल्लेख है। तत्कालीन भारत के पूर्व देश में लवली, ग्रन्थिपर्णक, अगुरू, द्राक्षा, कस्तूरी आदि उत्पन्न होते थे।
पूर्वदेश के पर्वत और नदियों के आधुनिक नाम :
बृहद्गृह :- हिमालय की पूर्वीय श्रेणी में गौरीशङ्करश्रृङ्ग का नाम है।
लोहितगिरि :- यह हिमालय पर्वतमाला की पूर्वी श्रेणी में है।
चकोर :- मिर्जापुर जिले की चरणाद्रि या चुनार श्रृंखला है।
दर्दुर :- विन्ध्य पर्वत के पूर्वी भाग में अवस्थित देवगढ़ नामक शिखर ।
नेपाल :- नेपाल देश की उत्तरी सीमा में स्थित हिमालय की पर्वतमाला।
कामरूप :- आसाम स्थित हिमालय की श्रेणी कामरूप है। नीलगिरि का दूसरा नाम है।
शोणनद :- यह गोंडवाना से निकलकर पटना से पश्चिम में मनेर के समीप गङ्गा से मिलता
है।
लौहित्य नद :- ब्रह्मपुत्र नद का ही नाम है। इसकी लम्बाई 1800 कोस है।
गङ्गा नदी :- गङ्गोत्री से दो मील ऊपर बिन्दुसर से निकलने वाली प्रसिद्ध नदी।
करतोया :- यह नदी बंगाल के पंगपुर, दीनाजपुर और बोगरा जिले में बहती हुई गङ्गा के डेल्टा के पास ब्रह्मपुत्र से मिलती है।