SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [184] दोहद प्रसङ्ग : इष्टेन पूर्तेन नलस्य वश्याः स्वर्भोगमत्रापि सृजन्त्यमाः । महीरुहा दोहदसेकशक्तेराकालिकं कोरकमुगिरन्ति ॥ (3-21) रात्रि में कुमुद का तथा दिन में कमल का विकास : नलाश्रयेण त्रिदिवोपभोगम् तवानवाप्यम् लभते बतान्या। कुमुद्वतीवेन्दुपरिग्रहेण ज्योत्स्त्रोत्सवम् दुर्लभमम्बुजिन्या॥ (3-45) वर्षा में हंसों का मानस गमन : तां मानसं निखिलवारिचयान्नवीना हंसावलीमिव घना गमयांबभूवुः। (11-15) वसन्त में कोकिल का स्पष्ट स्वर : ऋतोरधिश्रीः शिशिरानुजन्मनः पिकस्वरैर्दूरविकस्वरैर्यथा। (9-136) क्रोध का रक्तवर्ण : मिलत्कुङ्कुमरोषभासा-----(7-58) रघुवंशम्-(महाकवि कालिदास ) यश की शुभ्रता : शुभ्रं यशो मूर्तमिवातितृष्णः (2-69) वर्षा में मयूर नृत्य : अध्यास्य चाम्भ: पृपतोक्षितानि शैलेयगन्धीनि शिलातलानि। कलापिनां प्रावृषि पश्य नृत्यम् कान्तासु गोवर्धनकन्दरासु॥ (6-51)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy