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________________ [183] वर्षा में मयूर का नृत्य तथा हंसों का मानस गमन : घनैर्विलोक्य स्थगितार्कमण्डलैश्चमूरजोभिर्निचितं नभः स्थलम्। अयायि हंसैरभिमानसं घनभ्रमेण सानन्दमनर्ति केकिभिः। (14-35) नैषधीयचरितम् (श्रीहर्ष) अयश का श्यामवर्णः - वितेनुरिङ्गालमिवायशः परे (1-9) यश का शुभ्र वर्ण : सितांशुवर्णैर्वयति स्म तद्गुणैः ---- यशः पटं तद्भटचातुरीतुरी। (1-12) दोहद वर्णन : विदर्भसुभ्रूस्तनतुङ्गताप्तये घटानिवापश्यदलम् तपस्यतः। फलानि धूमस्य धयानधोमुखान्स दाडिमे दोहदधूपिनि द्रुमे। (1-82) कमल का सूर्यप्रियत्व : --------मित्रजुषां सरोरुहाम्------- (2-29) कमल का नदी में भी निवास : श्रितपुण्यसरः सरित्कथं न समाधिक्षपिताखिलक्षपम्। जलजम् गतिमेतु मञ्जुलां दमयन्तीपदनाम्नि जन्मनि ॥ (2-39) हास का शुभ्रवर्ण : दयितं प्रति यत्र संतता रतिहासा इव रेजिरे भूवः। स्फटिकोपलविग्रहा गृहाः शशभृद्भित्तनिरङ्कभित्तयः॥ (2-74)
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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