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क्यामखां रासा]
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मानस दोर्यो नगरकौं, गयो लुहागर मांहि । यह कहै दीवानजू, फिर गढ़ पावो नांहि ।।४८२।। वीदा आया कटक करि, खांनु दिलावर संग । असौ कौन जु करि सके, तुम बिन उनसौं जंग ॥४८३॥ जल्लोको वेटो बड़ौ, दौलतखां तिह नाम । बात सुनत ही चढ़ि चल्यो, अचवन नीर हरांम ॥४८४।।
आइ रही थोरी निसा, तव गढ़ पैठ्यो आन । दौलतखां जल्लो नंदन, देत जैत नीसांन ।।४८५।। तब वीदा विड़रन लगे, लाग्यो डरुन पठांन । दहदह हल खलभल भई, आये दौलतखांन ॥४८६।।
आप आपको भजि गये, कमधज और पठान । वास परे ज्यों वाधकी, भग्गे गऊ उद्यांन ॥४८७॥ पाछते आयौ उतहि, खां जलाल चहुवांन । जैत भई है पुत्रकी, बहु मुख उपज्यो प्रांन ।।४८८।
॥सवैया ।। खां जलाल, मरद मुंछाल, चौपानको घान मैदानमे कीनौ । छार करी है, छपोलिय जरिक, मरिहिक जु लुहागर लीनौ। गंज अंवेर, भये सब बरिय, टाक संमसखा कै रह्यो हीनौ। जूझनू पानि, विठायो भुजा गहि, टीको मुवारकसाहको दीनौ ।।४८९।।
श्री दीवान दौलतखांके पुत्र
१ नाहरखां, २ होंबनखां, ३ वाजीदखां । · ॥दोहा।। नाहरखां बाजीदखा, होवनखां जुझार ।
दौलतखां नदन नरिंद, तीनौ मरद मुछार ॥४६०॥
11.दोहा ॥ दौलतखां नदन खांको बखा
जवहिं भये बस कालकै, खां जलाल सिरमौर । तव दौलतखां जांन कहि, वैठे उनकी ठौर ।।४६१।।