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क्यामखां रासा]
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उतते ताहरखां चले, वतन आपने आइ । कच कियौ नागौरकों, अनगन कटक बनाइ ॥९७४।। जात जात नागौरकै, निकट लगे जब जाइ । जोधावत गढ़ छाड के, निकसे तबहि पराइ ॥९७५।।
॥सवईया॥ मिटे उमराव राव साहिजहां जू के आगे तहां लायौ बीरानं करी है बात थोरी सी। हाथौ दयौ पोरकै पै माथौ दै सके न जोधा गरद दबाये भाज गये खेल होरी सी । चहुरंग चमू बानि नागवर लीनौ आनि भये है खिसाने जे कहत बात भोरी सी। ताहरखां कीरति अकीरति बिपछनकी जगमै रहेगी गग जमुनाकी जोरी सी ॥९७६।। पाखर संजोव गज जूहमे धुकार धौसा सघन घटामै मानौ घन घहरतु है । प्रबल सबल दल साजि चढे ताहरखा खुरनि तुखारनि सौ जगु थहरतु है । धूरि उडि नभ छायौ सूरज न डिठ आयौ तिमर जनायौ अरि हीयौ हहरतु है। पवन घन जानि को डुरावत समूह सैन
सागर समांन है सु जानौ लहरतु है ॥९७७॥ मूछनि ताव सुभावहि देत बरा बरा जानि के प्रान डरै जू । जौ करवार निकार निहारत तौ द्रिगवाल सबै थहरे जू । होत पलान तुरंग कुरंग है भाजै विपछ न धीर धरै जू । ताहरखाकी धाक दसौ दिस सेल चढे जगु अ लरै जू ॥६७८।। हिम्मतके बर मोह्यो छत्रपति साहिजहा मुख तेरी ये बाते । जोध न कोऊ बिरोध सकै तुहि जानत तू सब जुध की घात ।