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क्यामखां रासा]
म मुनि का परी,
लरिवंकी सांमी करहु, जो तुम छाडि न जात । = बातिनमें मोच के, करि निवरौ इक बात ॥७६६।। कछवाहनि तब यो कही, अंसी कीन मुछार । जो इन पटिइन मांहि ते, हमको दैत निकार ॥७६७॥ राइसिंघ रानी सगर, सके न हमकी काढ़ । छाड़ि दई जागीर ही, तुम नहीं उनते बाढ़ ॥७६८।। खुसरों वीतरवीत वां, और अविया सेग्व । नाधि हर्म नाही सके, तुम भूले का देख |७६६।। दालतवा ये बान मुनि, दल करि चढयो रिसाइ । भाजि गये कूरम सकल, सके नाहि ठहराइ ॥७७०॥ दंदभ सुनि कूरम गये, आप आपकी नासि । गऊंबनम मानी परी, पचाननकी बास ॥७७१।। माधो नरहर कुटब ले, भाजे ज्यो म्रिगडार । नाहरखा अमै गयो, जैसै जात सियार ॥७७२।। गोकल गिरधरकं नंदन, कीनी आइ जुहार । दौलतग्वा की दिप्ट को, द्रुवनं न सके संहार ।।७७३।। पटिइनमै ते कोप करि, काढ़यो नरहर दास । कुटव सहित तव जाइक, कीयो लुहारू वास ।।७७४।। भादीवासीमै रह्यौ, माधौ करि मनुहार । निस बासुर चोरी करै, सगर हुई. पुकार ॥७७५।। दौलतखा चहुवांन तब, मानस दयो पठाइ । भादीवासी छाडि दै, के ही मारो आइ ।।७७६।। तव माधोने यों कह्यौ, ही मारयो नां जात । पातसाहको नां वदी, नांहि सुनी तुम बात ॥७७७।। दौलतखा यह वात सुनि, साजे कटक अपार । तवल निसान बजाइकै, चढ़यौ न लाई वार ।।७७८।।
ज्यो नि