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क्यामखां रासा]
उतर लिख्यो दीवान जू, तुम पीरत मो पीर ।' पै हौं कैसे आइ हौ, लागै लाज हमीर ॥७४०॥ दच्छिनके दल अति प्रबल, चलि आये चहुंवोर । दिस दिस धुखासे धसे, दुंदभ घंनकी घोर ॥७४१।। मलिकापुर घेरौ कीयौ, दच्छिनके दल ांन । दहूं वोर छूटन लगे, गोली गोला बांन ।।७४२।। दहूं दलते गोली चलै, जांन सु यह सुभाइ । मरन संदेस देत है, जुगल वोरते आइ ॥७४३।। मलिकापुर लै ना सके, करि बहुत ही रार । दछनी दल दीवानके, आगे भाजे हार ॥७४४।। बात सुनी परवेजनें, रहे न थाने आंन । मलिकापुर लरिकै रख्यौ, अलिफखानुं चहुवांन ॥७४५।। सहजादै तब यों कह्यो, अलिफखानुं चहुवांन । अटलखांन है साचलौ, असौ सुभट न ांन ।।७४६।।
दीवांन नै थांने साथै ॥दोहा॥ भीलनको थानौं कठन, लेत न को उमराइ।
मलिकापुरते अलिफखां, तब उत दयो. पठाइ ॥७४७।। ढील नैकु लाई नही, भील हने तब जाइ। परी पपीलक बापरी, तरै पीलकै पाइ ॥७४८।। बहुर जालवापुर गये, साधे सब मैवास । सगरै जगमै पर्गटी, सुजस फूलकी बास ।।७४६।। उतते कीनी जाइ कै, फतिह फतिहपुर गांव । अलफखांन दीवांनको, भयो जगतमै नांव ॥७५०।। ना छाड़े मेवासकौ, यह अलिफखां टेव । आइ मिले स्यो गांवके, लागै करनै सेव ॥७५१।। अलिफखानुं चहुवान पर, आयो छत्रपति भाव । मनसब बहुत बढ़ाइ के, करयौ बड़ी उमराव ॥७५२॥