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क्याम्खा रासा]
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तब रानौ यह वात सुनि, काटि काटि कर खाइ । 4 अमरा दीवानक, थानै सक्यौ न आइ ॥६६०।। ऊंटौले हौ समसखां, उत पायौ कर साथ ।
रानैको चहुवांनने, भले लगाये हाथ ॥६९१|| महजादै यह वात सुनि, कीनौ प्यार अपार । कह्यौ अलिफखां समसखां, जुगल बड़े जूझार ।।६६२।। जवहि भये वस कालके, अकवर साह जलाल । वैठ्यौ तवही तखत पर, साह सलेम मूंछाल ॥६६३।। जवते बैठे तखत पर, जहांगीर · हुव नाम। ' निस दिन आठी जाममै, देव ही सूं काम ॥६६४।। अलिफखांन दीवानसौ, वहुतै किरपा कीन । नगर · फतिहपुर प्यार कर, लाल मुहर करि दीन ॥६९५।। राइ मनोहर अलिफखां, पठय दये मेवात । मेव सेव लागे करन, भेट देहि दिन रात ॥६६६।।
दलपत ऊपर बिदा भये ॥दोहा॥ दलपत वीकानेरीये, कटक करे अनग्यांन ।
बदत नही पतिसाहको, लूटत फिरत जहांन ॥६६७।। दलै भजायो ज्याव दी, कर दल सरसै जाइ । बित लूट्यौ पतिसाहको, फूल्यौ अंग न माइ ।।६९८॥ वात सुनत पतिसाहक, रिस न समाई अंग । पठये सैख कवीर पुनि, अलिफखांनु जुग संग ॥ ६६६।। वीस और उमराव सग, चले लरनकै चाइ । दलपति रहि नाही सक्यौ, सरसे उतरे आइ ।।७००।
। सरसै मांहि लराई भई उमरावनिसौं ॥ दोहा । पानी ऊपर आपम, मच्यौयेक । दिन जुद्ध ।
अपने अपने कटक लै, प्राय सवै विरुद्ध ॥७०१।।