________________
क्यामखां रासा]
अति दुखि पायो ताज खां, पै कछ नांहि बसाइ । रुदन करै असुवां विना, कछू हाथ नहि पाइ ॥६६६।। पाछै रह्यौ सपूत अति, अलिफ खॉनु चहुवान । पोतैक सिर कर धरयो, ताजखानुं दीवांन ।।६६७।। पातसाह 4 ले गये, पोतको दीवांन । मेरे घरमै यहु बड़ौ, याको दीजै मांन ॥६६८।। कीनी प्यार जलालदी, सुनी ताजखां बात । होनहार बिरवा तक्यो, चिकनें चिकने पात ॥६६॥ जोलौ जीये ताजखां, रखे अलिफखां संग । पल न्यारे नाहिंन करै, है मानौ अरधंग ।।६७०॥
श्री नवाब अलिफखांके पुत्र १ दौलतखां, २ न्यामत खां, ३ सरीफखां, ४ जरीफखां,
५ फकीरखां। ॥दोहा॥ बडडी दौलत खाँनु है, दूजी न्यामत खांन । खांन सरीफ जरीफ खां, पुनि फकीर खां जान ॥६७१।।
नबाव अलिफखांन वखांन ॥दोहा॥ जवहि भये बस कालके, ताजखाँनु सिरमौर ।
अलिफखानु दीवांन तव, बैठे उनकी ठौर ॥६७२।। टीकै दयो जलाल दी, गज घोड़ा सरपाव । नगर फतिहपुर पुनि दयो, छत्रपति आयो भाव ।।६७३।। पातसाह कीनी मया, बाढ्यौ मनसब मांन । दयो फतिहपुर छत्रपति, लिखि अपनो फुरमांन ॥६७४॥ अलिफ खांनु दीवानक, आनंद बढ्यो प्रांन । पठय दयो फुरमांन घर, अलिफखानु ततकाल । स्यामदास मान नहीं, कूरम सुत गोपाल ॥६७।। हुतौ फतिहपुरमै तबही, सेरखांनु सिकदार। कूरम दये निकारि कै, जीत्यौ राइ मुछार ॥६७६।।