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क्यामखां रासा]
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निरबांननि पर जांन कहि, वहुत परी है मारि । छापौरी अरु पूंख पुनि, जारि वारि की छारि ॥६४८।। फदन खानसौ लरि सके, असौ कौन जूझार ।
नाहरखांक नंदकौ, मानत सब संसार ॥६४६।। ॥सवैया॥ नाहरखाँनु नरिंद नराधिप नंदन फदनखांनु सिर मौर।
करि दल गयोदून पुर छापर, ना ठहराइ सके राठौर। छापौरी अरु पुंख रौष कै धूरि मिलाई यैक्कै दोर । भये सहाइ बहादरखांके ले के दई झुंझनू ठौर ॥६५०॥
___ श्री दीवांन ताजखांके पुत्र १ महमदखा, २ महमूदखां, ३ सेरखां, ४ जमालखां,
५ जललखां, ६ मुजफरखां, ७ हैबतखां, ८ हबीबखां । ॥दोहा॥ महमदखां महमूदखां, सेरखांनु दीदार।
खांन जमाल जलालखां, मुजफरखां जूझार ॥६५॥ हैवतखां जु हबीबखां, अष्ट ताजखां नंद । ये लागत हैं चंदसे, और सिंवारी मंद ॥६५२।।
ताजखांको बखान ॥दोहा॥ जबहि भये बस कालके, फदन खानुं सिरमौर ।
तबहि ताजखां जॉन कहि, बैठे उनकी ठौर ।।६५३।। ताजखानकै रूपकी, परी जगतमें गैर । बिन पूछयौ ही जानिये, आहि बंस सिरमौर.॥६५४॥ उजियारे दौलत खां, सुन्यो रूप दीवांन । तब चितराइ मगांइ कै, रीझ्यो देखि पठांन ॥६५५।।
ताजखांकी फतिह ॥दोहा॥ अलवर ते दल कर चढ़ें, ताजखानुं चहुवांन ।
मारी सारां खरकरी, पुनि गढ़ येदल खान ॥६५६।।