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________________ ५२ तत्त्वानुशासन प्रार्थना की। तदनुसार दोनोंने ही उसे देखकर जो सूचना पत्र दिये हैं उनसे ज्ञात हुआ कि पिटर्सन साहबकी ४ थी रिपोर्ट मे देवसेन के नामके आगे यह सूचित किया गया है - 'दर्शनसारकाकर्त्ता अपनेको रामसेनका शिष्य बतलाता है और कहता है कि उसने ६६० में दर्शनसारको लिखा है, प्रमाणमे तीसरी रिपोर्टके परिशिष्ट पृ० ३७४ को देखनेकी प्रेरणा की गई है ।' साथ ही यह भी सूचित किया है कि 'एक टीकाकारके कथनानुसार देवसेनका जन्म संवत् ६५१ मे हुआ था और उसने दर्शनसारको ६६० में लिखा है' इत्यादि, और इसकेलिये तीसरी रिपोर्ट के परिशिष्ट पृ० २२ को देखनेकी प्रेरणा की है। श्री डा० ए० एन० उपाध्यायने तीसरी रिपोर्ट के परिशिष्ट पृ० ३७४ को देखकर यह सूचना की है कि वहाँ दर्शनसारका मूल पाठ छपा है, उसमें रामसेनका कोई उल्लेख नही है और इसलिये इस सूचनामें कुछ स्खलन हुआ जान पडता है जिसके कारण इसका उपयोग नहीं किया जा सकता । परिशिष्ट पृ० २२ की सूचना मुझे प्राप्त नही होसकी, जिससे टीकाकार और उसके कथनका ठीक पता चलता । परन्तु कुछ भी हो, टीकाकारने देवसेनके जन्म और दर्शनसारके निर्माणके जिनसवतोकी सूचना की है वे विक्रमसवत् न होकर शकसंवत् होने चाहियें; तभी काष्ठासघकी उत्पत्तिके समयोल्लेखमें जो भ्रान्ति हुई है, उसका सुधार हो सकेगा १ । अब रही काष्ठासघ तथा पुन्नाटसघको गुर्वावलियो आदिकी बात । इस विषयकी कुछ अप्रकाशित सामग्री पं० परमानन्दजी शास्त्रीसे प्राप्त हुई है, जिसके लिए मैं उनका आभारी हूँ । उपलब्ध सब सामग्रीके अवलोकनसे मालूम होता है कि कुछ गुर्वावलियाँ तो ऐसी हैं जिनमें गुरुवोका स्मरण कालक्रमसे नही पाया जाता - पहले होनेवाले अनेकगुरुवोका स्मरण पीछे १. पिटर्सन साहबकी उक्त रिपोर्ट - विषयक व चनाओंके लिए मैं डा० ए० एन० उपाध्याय कोल्हापुर भौर बा० छोटेलालजी जैन कलकत्ता दोनोंका आभारी हू ।
SR No.010640
Book TitleTattvanushasan Namak Dhyanshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages359
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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