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सामग्रीके भेदसे ध्याता और | ध्यानके उक्त निरुक्त्यर्थोकी ध्यानके भेद ५१ । नय-दृष्टि
७० विकल-तज्ञानी भी धर्म्यध्यान- निश्चयनयसे षट्कारकमयी का ध्याता
५३ __ आत्मा ही ध्यान है धर्मके लक्षण-भेदसे धर्म्यध्यान- ध्यानकी सामग्री का प्ररूपण
मनको जीतनेवाला जितेन्द्रिय ध्यानका लक्षण और उसका
कैसे?
७२ फल
इन्द्रिय-घोडे किसके द्वारा कैसे
५७ ध्यानके लक्षणमे प्रयुक्त शब्दो
जीते जाते हैं ? ७३ का वाच्यार्थ
जिस उपायसे भी मन जीता ध्यान-लक्षणमे 'एकाग्न' ग्रहण
जासके उसे अपनानेकी प्रेरणा ७५ की दृष्टि
मनको जीतने के दो प्रमुख एकाग्रचिन्तानिरोधरूप ध्यान
उपाय कब बनता है और उसके
स्वाध्यायका स्वरूप ७७ नामान्तर
स्याध्यायसे ध्यान और ध्यानसे ६० स्वाध्याय
७६ अग्रका निरुक्ति-अर्थ
वर्तमानमे ध्यानके निषेधक चिन्ता-निरोधका वाच्यान्तर ६३
अर्हन्मतानभिज्ञ है कौनसा श्रु तज्ञान ध्यान है और
शुक्लध्यानका निषेध है, धर्म्यध्यानका उत्कृष्ट काल
ध्यानका नही ध्यानके निरुवत्यर्थ
| वज्रकायके ध्यान-विधानकी स्थिरमन और तात्त्विक श्रुत
दृष्टि ज्ञानको ध्यान-सज्ञा . ६६ /
वर्तमानमे ध्यानका युक्तिआत्मा ज्ञान और ज्ञान आत्मा ६६
| पुरस्सर समाधान ८४ ध्याताको ध्यान कहनेका हेतु ६८ |
सम्यक अभ्यासीको ध्यानके ध्यानक आधार आर विषयका चमत्कारोका दर्शन ८
भी ध्यान कहनेका हेतु ६६ | अभ्याससे दुर्गमशास्त्रोके समान ध्यातिका लक्षण ६६ / ध्यानकी भी सिद्धि
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