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________________ विषय-सूची भाष्यका मगलाचरण २ / समस्तबन्ध हेतुओके विनाशमूलका मगलाचरण और प्रतिज्ञा ३ | का फल वास्तव सर्वज्ञका अस्तित्व और बन्ध-हेतु-विनाशार्थ मोक्ष-हेतुलक्षण परिग्रह सर्वज्ञद्वारा द्विधातत्व-प्ररूपण मोक्ष-हेतुका लक्षण सम्यग्दर्शऔर तदृष्टि नादि-त्रयात्मक हेयतत्त्व और तत्कारण सम्यग्दर्शनका लक्षण उपादेयतत्त्व और तत्कारण १० सम्यग्ज्ञानका लक्षण वन्धतत्त्वका लक्षण और भेद १२ | सम्यकचारित्रका लक्षण बन्धका कार्य और उसके भेद १३ | मोक्ष-हेतुके नयदृष्टि से भेद और वन्धके हेतु मिथ्यादर्शनादि १५ / उनकी स्थिति ३५ बन्ध-प्रत्ययोमे दो शक्तियां १६ / निश्चय-व्यवहारनयोका स्वरूप ३६ मिथ्यादर्शनका लक्षण १७ व्यवहार-मोक्षमार्ग मिथ्याज्ञानका लक्षण और भेद १८ | निश्चय-मोक्षमार्ग मिथ्याचारित्रका लक्षण १६ द्विविध-मोक्षमार्ग ध्यानलभ्य बन्ध-हेतुमि चक्री आर मत्रा २१ होनेसे ध्यानाभ्यासकी प्रेरणा ४० मोह-चक्रीके सेनापति ममकार ध्यानके भेद और उनकी उपाअहकार २१ देयता ममकारका लक्षण २२ | शुक्लध्यानके ध्याता अहकारका लक्षण २३ | धर्म्यध्यानके कथनकी सहेतुक ममकार और अहकारसे मोह- प्रतिज्ञा व्यूहका सृष्टिक्रम २४ | अष्टागयोग और उसका मुख्यबन्ध-हेतुओके विनाशार्थ सक्षिप्त रूप प्रेरणा २८ | ध्याताका विशेषलक्षण मुख्यबन्ध-हेतुओके विनाशका धर्म्यध्यानके स्वामी २८ | धर्म्यध्यानके भेद और स्वामी ५० ३८
SR No.010640
Book TitleTattvanushasan Namak Dhyanshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1963
Total Pages359
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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