________________
कि, इस राजभवनपर जिसका पक्षपात हो जाता है, वह पूज्य परमेश्वरका (राजाका) प्यारा हो जाता हैं । और यह रंक नेत्ररोगसे अतिशय दुखी है, परन्तु राजभवनके देखनेकी इच्छासे इसके नेत्र उघड़ गये हैं। इसका मुंह जो कि देखनमें बहुत ही घिनौना मालम पड़ता है, राजमहलके देखनेसे प्रसन्नताके कारण दर्शनीय हो गया है। इसी प्रकारसे इसके धूलसे मलीन हुए अंग प्रत्यंग रोमांचित हो रहे हैं। जान पड़ता है कि, इस राजभवनपर इसका अनुराग हुआ है और इसीसे राजाने इसपर अपनी दृष्टि डाली है। सो यद्यपि इस समय यह दरिद्री भिखारीका वेष धारण कर रहा है, परन्तु राजाके अव. लोकन कर लेनेसे यह शीघ्र ही अपने स्वरूपको पा लेगा अर्थात् राजाके तुल्य हो जायगा।" ऐसा विचार करके धर्मबोधकर उस रंकपर दयाल हो गया। लोकमें जो यह कहावत सुनी जाती है कि, "यथा राजा तथा प्रजा" अर्थात् "जैसा राना होता है, वैसी प्रना होती है " सो सर्वथा सत्य है। अभिप्राय यह कि, जैसा दयालु मुस्थित नामका राजा था, वैसा ही उसका सेवक धर्मवोधकर भी निकला। ___ इसके पीछे वह तत्काल ही आदरपूर्वक उसके पास गया और वोला, "आओ! आओ! मैं तुम्हें भिक्षा दूं।" उस समय उसको पास आते देखकर वे सबके सब लड़के जो कि कठिनाईसे भी नहीं रुकते थे, कठोर थे, और उस भिखारीके पीछे लगे हुए थे, भाग गये। इसके बाद धर्मबोधकर उसे प्रयत्नपूर्वक भोजन करनेके योग्य स्थानमें ले गया और वहां उसने अपने सेवकोंको आज्ञा दी कि "इसे भिक्षा दो।" • धर्मवोधकरको तया नामकी एक सुन्दर लड़की है। वह अपने पिताकी आज्ञा सुनकर आदरके साथ उठी और सारे रोगोंके नाशं