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( ७० ) का मध्यम-पुरुष का बहुवचन का रूप 'शृणोत' होता था। पालि में ये क्रमशः 'सुणुहि' और 'सुणोथ' के रूपों में सुरक्षित हैं। किन्तु संस्कृत व्याकरण ने इन्हें भी स्वीकार नहीं किया है। वैदिक भाषा में 'हन्' धातु का लुङ् लकार का उत्तमपुरुष का एकवचन का रूप 'बधीं होता था। संस्कृत ने इसे भी स्वीकार नहीं किया है। किन्तु पालि में यह 'बधि' के रूप में सुरक्षित है । कृदन्त के प्रयोग में भी संस्कृत और पालि में उपर्युक्त प्रवृत्ति दृष्टिगोचर होती है। वेद में निमित्तार्थक १४ प्रत्ययों का प्रयोग होता है, यथा से, सेन, असे, असेन, कसे, कसेन, अध्य, अध्यैन, कध्य, कध्यैन, शध्ये, शध्यैन, तवेन, तुं। संस्कृत ने इनमें से केवल 'तुं' प्रत्यय को ले लिया है। पालि ने उसके साथ साथ 'तवेन' प्रत्यय को भी ले लिया है। वैदिक 'दातवे' या 'दात' पालि के 'दातवे' में पूरी तरह सुरक्षित है । इसी प्रकार 'कातवे' 'विप्पहातवे' 'निधातवे' जैसे प्रयोग भी पालि में दृष्टिगोचर होते हैं, जो संस्कृत में नहीं मिलते। 'ल्यप्' के स्थान पर वेद में 'त्वा' का भी प्रयोग मिलता है, जैसे 'परिधापयित्वा'। संस्कृत-व्याकरण के अनुसार यह रूप अशुद्ध है। वहाँ उपसर्ग-पूर्वक धातु में अनिवार्यतः 'ल्यप्' होता है, किन्तु पालि में वैदिक भाषा की तरह ‘त्वा' देखा जाता है यथा अभिवदिन्त्वा, निस्साय आदि । वेद की भाषा में पूर्वकालिक अर्थ में 'त्वाय' 'त्वीन' आदि प्रत्येक लगा कर 'गत्वाय' 'इष्ट्वीन' जैसे शब्द बनते थे । पालि में 'गत्वान' 'कातून' जैसे प्रयोगों में ये सुरक्षित हैं, किन्तु संस्कृत में नहीं मिलते । वेद की भाषा में विभक्ति, वचन, वर्ण और काल के अनेक व्यत्यय पाये जाते हैं। पालि में भी ये सब पाये जाते हैं। 'एकस्मिं समयस्मिं' के लिये 'एकं समय' (विभक्ति-व्यत्यय) 'सन्ति इमस्मिं काये केसा लोमा नखा' के लिये 'अस्ति इमस्मिं काये केसा, लोमा, नखा, (वचन-व्यत्यय); 'बुद्धेभि' के लिये 'बुद्धेहि', 'दुक्कटं' के लिये 'दुक्कतं' (वर्ण-व्यत्यय) 'अनेक जाति-संसारं सन्धाविस्सं' (भूतकाल के अर्थ में भविष्यत् काल काल-व्यत्यय ) जैसे व्यत्यय पालि में वैध हैं । किन्तु संस्कृत व्याकरण ने इन्हें ग्रहण नहीं किया है। इस प्रकार संस्कृत भाषा की अपेक्षा पालि ही वैदिक भाषा की अधिक सच्ची उत्तराधिकारिणी ठहरती है।
१. विषय को अधिक सुगमता के लिये देखिये भिक्षु जगदीश काश्यप-कृत 'पालि-महाव्याकरण' पृष्ठ तेईस-उन्तीस (वस्तुकथा) पर दी हुई तालिकाएँ।