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उत्पद्यते
उप्पज्जति मुद्ग (मूंग)
मुग्ग (२) ऊष्म+स्पर्श में, यथा आश्चर्य
अच्छेर निष्क
निक्ख, नेक्स यहाँ पर साथ-साथ प्राण-ध्वनि का आगमन भी हो गया है। (३) अन्तःस्थ+स्पर्श, या ऊष्म, या अनुनासिक व्यंजन में, यथा कर्क
कक्क किल्बिष
किब्बिस वल्क
वाक कर्षक
कस्सक कल्माष
कम्मास (४) अनुनासिक+अनुनासिक में, यथा निम्न
निन्न उन्मूलयति
उम्मूलेति (५) +ल, या य, या व में, यथा दुर्लभ
दुल्लभ आर्य
अय्य (अरिय भी) उदीर्यते।
उदिय्यति निर्याति
निय्याति कुर्वन्ति
कुब्बन्ति (आ) परवर्ती व्यंजन का लुप्त होकर पूर्ववर्ती व्यंजन का रूप धारण कर लेना(१) स्पर्श+ अनुनासिक में, यथा लग्न
लग्ग अग्निः
अग्गि उद्विग्न
उब्बिग्ग स्वप्न
सोप्प (२) स्पर्श+र याल् में, यथा