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सुत्तपिटक : उदान की सूक्तियां
१. स्नान तो प्राय सभी लोग करते हैं, किन्तु पानी से कोई शुद्ध नहीं होता।
जिसमे सत्य है और धर्म है, वहीं शुद्ध है, वही ब्राह्मण है।
२. छोटे-बड़े सभी प्राणियो के प्रति संयम और मित्रभाव का होना ही
वास्तविक सुख है। ३. ससार मे वीतरागता ही सुख है।
४. जो इस लोक मे कामसुख हैं, और जो परलोक मे स्वर्ग के सुख हैं-वे
सव तृष्णा के क्षय से होने वाले आध्यात्मिक सुख की सोलहवी कला के
वरावर मी नही हैं। ५. सभी प्राणी सुख चाहते हैं ।
६. उपाधि के कारण ही स्पर्श (सुख दु खादि) होते है, उपाधि के मिट जाने
पर स्पर्श कैसे होंगे ?
७. एक व्यक्ति दूसरे के लिए बन्धन है ।