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________________ ८४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात वरस उरहो पावतो जासी ।' कूपो परहो नही जावै ।" कह्यो'कूपाजी पधारो। वरस एक ताई सोझत ऊपर कटकी नहीं करां ।' ताहरा कूपै रायमल कनै जाय विदा मांगी। 'म्है जोधपुर जावां छा। वीरमदेरै छोरू नही, पछै ही जोधपुर जावणो हुमी । ताहरां रायमल कह्यो-'कपाजी ! वीरमदेरो ढोलियो खेतावतर हीये पग है अर सोझतहू उतारसी, थे पधारो छो?" ताहरा कूपोजी तो जोधपुर गया। कूपै जावतां रिणमल सर्व गया । वासै सात से असवार सोझतमे रह्या। ताहरा कृपजी मसलत की । सोझतरा गांम वरसो-वरस' दो-दो चार-चार लेता जावो । ताहरा धौळहरै प्राण पायगा बाधी। राव गांगरा च्यार हजार चीधड थाणे राखिया ।1 इतरा अमराव साथै दिया । १ मानो रूपावत, २ साडो सांखलो, ३ रायपाळ साहणी, ४ गांगो डूगरसीप्रोत, इतरा ठाकुर घोड़ां पासै राखिया। यु करता होळी आई । होळीर दिहाड़े, ताहरां मांडावो अरहट छ, एथ सारो दीह रायमल रह्यो, गोठ कीवी । अर हेरा लगाया 14 अाज होळीरो दिन छै सु चोपड़ां गाव छ उठ गागैरी वसी छ । सु रायमल कह्यो-'गांगो घरे जासी । सु ताहरा गांगो घरे जावै, ताहरां मोनू" खबर देज्यो। हेरा धौळहर गया। ताहरा होळीनै मंगळावै नै पहोर १ रात गई, ताहरा गांगो साहणी कनै गयो । कह्यो-'साहणीजी ! कहो तो घरे जावां । ताहरा साहणी बोलियो-'नही ।' कह्यो-'जी, क्यु, ना वोलो?1' कह्यो-'जी, रायमल ___ I एक वर्प यो ही वीत जायगा । 2 कूपा कही हायसे चला नही जाये। 3 कूपाजी त्रले आयो। 4 हम जोधपुर जा रहे है। 5 बादमे भी जोधपुर तो जाना ही पड़ेगा। 6 कू पाजी । वीरमदेके पलगको खेतावतोकी छाती पर पर देकर सोजतसे उन्हें उतारनेकी वात थी और श्राप जा रहे है ? 7 कू पेके जानेसे रिणमलोत सभी चले गये । 8 पीछे सिर्फ सात सौ सवार सोजतमे रहे। 9 प्रति वर्प। 10 तव घोलहरे गावमें अाकर घुड-सेनाकी पायगा वाँधी। II राव गागेके चार हजार चीघड-सैनिकोको इस थानामे रखा। 12 इस प्रकार उमराव साथमे दिये। 13 माडावा नामका एक रहंट है, होलीके दिन रायमल दिन भर यहा रहा और वहा गोठ की। 14 वहा उसने जासूस लगाये। 15 चोपडा गाव है उसमे गागेकी वसी है। 16 मुझको। 17 जासूस घोलहरेपो गये। 18 होलीको मगलानेके वाद जव एक पहर रात वीती तो गागा साहनीके पान आया। 19 क्यो, मना क्यो कर रहे हो ?
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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