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________________ ॥ श्रीरांमनी सत छ । अथ वात गांगै वीरमदेरी लिख्यते च्यार ठाकुर मारू, सु अ जोधपुर पाया । इयांमे रायमल घरे छै, वीजा जोधपुररै दरोखानै छै। इतरै मेह पायो । ताहरां इंया ठाकुरां वीरमदेरी मा सीसोदणी, तिणनू कहाडियो -'जी, म्हांनू मेह रोकिया छै', मांहरी खबर लेज्यो। ताहरां रांणी कहाडियो-'चकमा अोढनै ठाकुर डेरै पधारो।' अठे थांनं कुण जीमाडसी 110 __ताहरा इंया ठाकुरा कह्यो-'श्रावो, गागैरी मानू कहावा ।'11 ताहरा गांगरी मानू कहाड़ियो। ताहरा भीतरसू कहाड़ियो-'ठाकुर ! दरीखानै विराजो। घणा हीडा करस्यां। ताहरा गांगरी मा ठाकुररा घणा वाना किया। ठाकुर सारा राजी हुवा । वळे आपरी धाय मेलनै खवर कराई, ने कह्यो'-'जी, क्युं ही न पहुतो हुवै सो पहुंचावा 11' ताहरा ठाकुरां कह्यो-'जी, सारा थोक आया । ____ ताहरां इया ठाकुरां वहूजीनूं भीतर कहाड़ियो-'थारै बेट गांगनूं. जोधपुररी ममारखो छै।19 ताहरां धाय भीतर जायनं वहूजीनू कह्यो-'ठाकुर थारै वेटेनू जोधपुररी ममारखी दीवी छ । ताहरां राणी पासीस कहाड़ी 121 पर कह्यो-'जी, जोधपुर म्हां पायो । I चार मारू ठाकुर थे सो ये जोधपुर रहनेके लिये प्राये। 2 इनमेसे। 3 दूसरे जोधपुरके दरीखानेमे है। 4 इतनेमे वरसात पा गया। 5 इन। 6 जिसको कहलवाया। 7 हमको वरसातने घर जानेसे रोक लिया है। 8 हमारी सम्हाल लेना जी। 9 चकमे प्रोढ कर अपने डेरोको चले जायें। 10 यहां तुमको कौन भोजन करायेगा। 11 गागेकी गाको पहलायें। 12 दरीखानेमे बैठे। 13 ययागक्ति सेवा करेंगे। 14 अनेक प्रकार सेवा की। 15 पुन अपनी घायको भेज कर खवर करवाई। 16 और कहा। 17 कोई वस्तु नहीं पहनी हो वह पहुचा दें। 18 सब वस्तुएँ मिल गई है। 19 तुमारे पुत्र गागेको जोवपुरकी मुबारिकवादी है। 20 ठाकुरोने तुमारे बेटेको जोधपुरवो मुबारिकवादी दी है। 21 तब रानीने आशिप कहलवाई। 22 (आपने कहा है तो) जोधपुर ही मिल गया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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