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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [८१ थांईज सारै छ', थे देवो जिकेन हीज पावै ।'' अर कहाडियो-'भला जी, म्हां पायो । यु करता राव सूजोजो कितरै हेकै दिने विसरामियो । ताहरा टीकैरी तयारी हुई। ताहरा इया ठाकुरां वोरमदेनू पकड बाह पर गंढसू हेठो उतारियो', नै गांगैनू टोको दियो । जाहरा' वीरमदे गढ हू उतरतां विचै रायमल मुंहतो मिळियो, कह्यो-'रे, ओ पाटवी कुंवर गढसू क्यु उतारो ? ताहरां रायमल वीरमदेनू अपूठो ले पायो ।' ताहरा सिगळा ही मिळनै कह्यो11'जी सोझत वीरमनू द्यो ।1 सोझतरो राव वीरमदेन कियो ।13 ताहरां वीरमदे गेहलो हुवो।14 मुहडैसू वकै-'रे, प्रो जोधपुर हुवै ?15 ताहरां रायमल मुहतो सोझत रखवाळे । वीरमदे ढोलियै बैठी रहै। जो गांगो सोभतरो १ गाम मारै तो रायमल जोधपुर रा २ गांम मारै ।। यु रहतां थकां इयारो वेध चालियो जाइ 119 जैतो जोधपुर चाकरी करै । कूपो सोझत चाकरी करै । सु जैतै री वसी वगडी मांहै। सु वगडी वीरमदेरै वाटै मे आई 121 वीस हजाररो गांम । सु जैतैनू वीरमदे काढ नही ।23 सु किसे वासते ? कह्यौ-'जी जैतो फोज माहै सिरदार, सु जैतो वगड़ी ___ I तुम्हारे ही अधिकारकी बात है। 2 तुम जिसको देदो उसको ही मिले । 3 और उन्हे कहलवाया कि अच्छी बात है, हमे प्राप्त हुआ। 4 इस प्रकार कितनेक दिनोके वाद सूजोजी देवलोक हुआ। 5 वीरमदेको वाह पकड कर गढसे नीचे उतार दिया। 6 और गागेको टीका कर दिया। जब। 8 से। 9 अरे । इस पाटवी कुवरको गढसे क्यो उतार रहे हो? 10 तव रायमल वीरमदेको वापिस ले आया । II तव सभीने मिल कर कहा। 12 सोजत वीरमको देदो। 13 तव सोजतका राव वीरमदेको बनाया। 14 तव वीरमदे पागल हो गया। 15 मुहसे वकता है-अरे ।यह जोधपुर है क्या ? 16 उस समय मुहता रायमल सोजतका रखवाला बना। 17 वीरमदे पलग पर बैठा रहे। 18 यदि गागा सोजतका एक गांव लूटता है तो रायमल जोधपुरके दो गाव लूट लेता है। 19 इस प्रकार इनका झगडा चलता रहता है। 20 जैतेकी वसी (जागीरी) बगडी मे। 21 वगडी वीरमदेके वटमे पाई हुई थी। 22 वगडी वीस हजारकी आमदनीका गाव। 23 जैतेको वीरमदे निकालना नही चाहता। 24 सो किसलिये ?
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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