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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [७६ कांम आया।' खीची तो लड़ाई करनै आपरै ठिकाण गयो। पमो आपरै ठिकाणै गयो। पाबूजी लारै सोढी सती हुई । बूडैजी लारै डोड-गेहली सती हुवण लागी । तद डोड-गेहलीरै सात मासरो गर्भ हुतो। तद लोकै कही-'आपरै पेट माहै गर्भ छै सु थे सती मता हुवो । ताहरां डोड-गेहली छुरी लेने पेट झरडैनै वेटो काटियो अर धायनै दियो।' कह्यो-'इौनू आछी तरतूं पाळे ।' प्रो वडो देवनीक मरद हुसी ।' ताहरां इणरो नाम झरड़ो दियो। पछै झरड़ो वरस १२रो हुवो । ताहरां झरड़े काकै बापरो वैर लियो ।' जीदराव खीचीनू मारियो । पछै राज कियो । तिको झरडो अजू ताई जोवै छ । गोरखनाथजी मिळिया। सिद्ध मरद हुवो।1 ।। इति पाबूजी री वात सपूर्ण ।। ॥ शुभं भवतु ।। कल्याणमस्तु । - - - - - - - I खीचीके भी वहुत मनुप्य काम आये। 2 पावूजीके पीछे सोढी सती हुई । 3 उस समय । 4 आपके पेटमे गर्भ है सो तुम सती मत हो। 5 तव डोड-गहलीने छुरीसे पेटको चीर करके भ्र णको बाहर निकाला और धायके सुपुर्द किया। 6 इसका पालन अच्छी तरहसे करना। 7 यह देवांशी और वीर होगा। 8 इसका नाम झरडा रखा। [छुरीसे झरड कर (एक झटकेसे चीर कर) पेटमेसे बाहर निकाला इसलिये 'झरडा' नाम रखा।] 9 तब झरडेने अपने काके और वाप के मारने वाले जीदराव खोचीको मार करके बदला लिया। 10 वह झरडा अभी तक जीवित है। II सिद्ध और वीर पुरुप हुआ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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