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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३६ चालियो । ताहरां रावजी कह्यो - ' दूदा ! युं जा नांह, सराजांम कर थू । आगे मेघो सींधळ छै । तै मेघो कांने नहीं सुणियो छे । ताहरां दूदो कहै - ' का तो दो मेघै; का मेघो दूदै ।" 12 ताहरां दो डेरै आयने आपरो साथ लेने चढियो । जायने जंतारणहूं * कोस ३ उतरियो । आदमी मेलियो । जायनै मेघन को'दूदो जोधावत आयो छे । श्रासकरण सतावतनू मांगै छै ।" आदमियो जाय मेनू कह्यो । ताहरां मेघै कह्यो- 'मोड़ा क्युं श्राया ?" ताहरा कह्यो - 'समझ पडी पछै तो दूदै पांणी ग्रागै प्राय पीयो छै । 8 11 ताहरां मेघो माळिये' चढियो । को- 'रे घोड्यां ईयै तरफ मता उछेरो ! ° दूदो जोधावत आयो छे, घोड्यां ले जासी, ताहरां दो बोलियो | कह्यो- 'ओ कुण बोलै ? 12 कह्यो 'जी, मेघो बोलै छै । ताहरा कह्यो - ' रे ! इतरी भुंय सुणीजै छै ? 13 ताहरां कह्यो - 'जी, मेघो सीधळ कांने सुणियो छे किना नही ? 24 ताहरा मेघैन कहाड़ियो - 'म्हारै घोड़ियांसूं कांम नही। 25 मालसू कांम नही | म्हारे थारै माथैसू कांम छै ।" परतरी वेढ करस्यां । 22 15 117 ताहरां बीजै दिन मेघो साथ करने आयो । इयै तरफसू दूदो आयो । ताहरां मेघो कहे- ' दूदाजी ! थां अवसर लाधो, रजपूत तो म्हारा सरब म्हारैं बेटैरी जांन गया । अठै तो हूं छू ।'28 ताहरा दो 118 1 Iबत रावजीने कहा- दूदा इस प्रकार मत जा; तू सरजाम कर, आगे मेघा सील है । 2 या तो दूदा मेघाके हाथ, या मेघा दूदाके हाथ । 3 अपना । 4 जैतारणसे । 5 श्रादमीको भेजा । 6 आसकरण सत्तावतको मारनेके बैरका बदला मागता है । 7 देरी से क्यो प्राये ? 8 मालूम हो जाने के बाद तो दूदाने पानी भी (अपने घर पर नही पी कर, मार्गमे) श्रागे श्राकर पिया है । 9 महल पर । म्हाळियो माळियो, माळियो =छत पर बना हुआ शयन-गृह । 10 अरे घोडियोको इस घोर चरनेको मत ले जाओ । उछेरणो= गाय, भैंस श्रादि चौपायोंके समूहको जगलमें चरनेको ले जाना । II घोडियोको ले जायगा । 12 यह कौन बोल रहा है ? 13 अरे ! इतनी दूरी पर सुना जाता है ? 14 जी यह मेघा सीधल है, कानोंसे कभी सुना है कि नही ? IS तव मेघेको कहलवायामेरेको घोडियोसे कोई सरोकार नही है । 16 मेरेको तो तेरे सिरसे प्रयोजन है ! 17 अपन अकेले ही परस्पर दावकी लडाई करेंगे । 18 दूदाजी ! श्रापको यह मौका मिला, है, मेरे राजपूत तो सभी मेरे बेटेकी बारात मे गये हुए हैं, यहां तो केवल मैं ही हूं ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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