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________________ ॥ श्री रामजी ॥ अथ वात दूदै जोधावत मेघो नरसिंघदासोत सीधल मारियो तै समैरी राव जोधो पोढ़ियो हुतो।' वातपोस वात करता हुता।' राजवियांरी वातां करता हुता । ताहरां एक कह्यो-'एकण भाटियांरो वैर न रह्यो। एक बोलियो-'राठोडारो वैर है।' ताहरां एक बोलियो'राठोड़ारै वैर एक रह्यो-कह्यो 'किसो ?' कह्यो-'पासकरण सतावतरो वैर रह्यो । नरबदजी सुपियारदे ल्याया तदरो वैर रह्यो।' ताहरां राव जोधाजी वात सुणी। ताहरां वांनू पूछियो -'थे कासू कहो छौ ?" कह्यो 'जी-क्यूही नही। ताहरा बोलिया-'ना । ना ! कहो । ताहरां कह्यो 'जी-आसकरणर ही छोरू नही नै नरबदजीरै पण छोरू नही, तै वैर युंही रह्यो।1 आ वात सूणने राव जोधैजी मनमे राखी । प्रभात दरबार वैठा छ, तितरै कुवर दूदै मुजरो कियो प्रायन ।11 सु दूदैसू रावजी कुमया करता । ताहरां रावजी कह्यो-'दूदा ! मेघो सीधळ मारियो जोइजै ।13 ताहरां दूदै सलाम कीवी। ताहरां रावजी वोलिया-'दूदा ! आसकरण सतावतनू नरसिंघदास सीधळ मारियो हतो; 14 नरबदजी सुपियारदे ल्याया, तिय वदळे, सु नरसिंघदासरो बेटो मेघो, तियनू जाह मार । ताहरा दूदो सलाम करने I राव जोधा सोया हुअा था। 2 वातपोश लोग वातें (चर्चा) कह रहे थे। 3 एक भाटियोका वैर अव नहीं रहा। 4 कौनसा? 5 नरवदजी सुपियारदेको लाये उस समयका बैर रह गया। 6 तव उनको पूछा। 7 तुम क्या कहते हो? 8 कुछ भी नही। 9 तब कहा – नही - नहीं । कहो। 10 आसकरणके भी कोई पुत्र नहीं, और न नरददजीके भी कोई पुत्र, वह वैर यो हो रह गया। II इतनेमे कुमार दूदाने आ कर मृजरा क्यिा । 12 रावजी दूदासे नाराजगी रखते थे। 13 तव रावजीने कहा-दूदा ! मेघा सीघल मारा जाना चाहिये। 14-15 दूदा। नरवदजी सुपियारदेको ले आये थे उसके बदलेमे प्रासकरण नत्तावतको नरसिंहदास सीवलने मार दिया था। 16 सो उस नरसिंहदासका बेटा मेघा है उसको तू जा कर मारदे ।।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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