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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात [ २७७ मुकरबखां । सरफराजखां । साहबखां । दिलावरखां । अर साहजी मिळिया । सु एक वेळा मिळ नै पाछा जाय बैठा । 1 2 3 पर्छ जद छोकरो टीकै बैठो, ताहरां पातसाह फेर मुहिम कीवी । " सु मोहबतखां चत्रतोरथ दिसा मोरचो लगायो, सु दिन १५ में तोड़ियो । अर भीतरलो गढ छठे महीने लियो * श्रर बीजा उमराव बीजापुर गया । साहजी पछे बीजापुर गयो । सु दौलताबादरा गढांरी ४५ कूचियां हुती', सु सोहजहां प्रायो जद' अलावरदीखांनू मेल्हनै गढ १२ साहजीनूं दिया नै बाकीरा गढ लिया । 8 || इति दोलतावादरा उमरावांरी वात संपूर्ण ॥ ॥ शुभ भवतु ॥ कल्याणमस्तु || श्रीरस्तु ॥ 1 सो एक वार मिल करके वापिस जा बैठे । 2 तव वादशाहने फिर चढाई की । 3/4 मोहवतखानने चित्र ( ? ) तीर्थकी थोर मोर्चा लगाया जिसको १५ दिनो में तोड दिया, परंतु भीतरके महल पर छटे महीने जाते श्रधिकार हुआ । 5 दूसरे । 6 पी । 7 जब 8 भेज कर
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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