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मुहता नैणसीरी ख्यात
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मुकरबखां । सरफराजखां । साहबखां । दिलावरखां । अर साहजी मिळिया । सु एक वेळा मिळ नै पाछा जाय बैठा । 1
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पर्छ जद छोकरो टीकै बैठो, ताहरां पातसाह फेर मुहिम कीवी । " सु मोहबतखां चत्रतोरथ दिसा मोरचो लगायो, सु दिन १५ में तोड़ियो । अर भीतरलो गढ छठे महीने लियो * श्रर बीजा उमराव बीजापुर गया । साहजी पछे बीजापुर गयो । सु दौलताबादरा गढांरी ४५ कूचियां हुती', सु सोहजहां प्रायो जद' अलावरदीखांनू मेल्हनै गढ १२ साहजीनूं दिया नै बाकीरा गढ लिया ।
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|| इति दोलतावादरा उमरावांरी वात संपूर्ण ॥
॥ शुभ भवतु ॥ कल्याणमस्तु || श्रीरस्तु ॥
1 सो एक वार मिल करके वापिस जा बैठे । 2 तव वादशाहने फिर चढाई की । 3/4 मोहवतखानने चित्र ( ? ) तीर्थकी थोर मोर्चा लगाया जिसको १५ दिनो में तोड दिया, परंतु भीतरके महल पर छटे महीने जाते श्रधिकार हुआ । 5 दूसरे । 6 पी । 7 जब 8 भेज कर