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॥ श्री रामजी ॥ अथ दौलताबादरा उमरावारी वात दौलतावादरा उमराव ईयै तरह आय मिळिया पातसाह जहांगोरसू
ताहरा पैहली तो जहांगीरसू उदराम ब्राह्मण पच हजारी थो सु प्राय मिळियो।
पछै जादूराय आय मिळियो । तठा पछै आकूतखा पच हजारी पातसाहसू आय मिळियो।
सु यां सारां ही उमरावांनू पातसाह जहांगीर पच हजारी किया।
ताहरां पछै मलकंबर निजामसाहनू कह्यो-'जु म्हारो बेटो फतैसाह छ तैसू दौलतावाद जासी, सु ईयैनू मारिस । ताहरां निजांमसाह कह्यो-'ओ म्हारो' मामो छ।' ताहरा मलकंबर कह्यो'थारो' मामो पण म्हारो वेटो छ ।' पछै मारियो नही अर कैद माह कर राखियो ।' अर कह्यो-'जु ईयैनू दीवानगीरी कदै देणी नही, जो देवो तो सिपाहीपणैरो रिजक दिया । पछ मलकबर सुवो।" तद ईयन दीवाण कियो ।
पछे कितरेहके दिनां निजामसाहनू मोतीमहल माहै मारियो । अर निजामसाहरो बेटो छोटो हुतो तीयन टीको दियो ।
पछै इतरा उमरावांनू छडाया-11
1 इस तरह। 2 याकूतखा। 3 इन सभी उमरावोको बादशाह जहांगीरने पंचहजारी बनाया। 4 मलिक अवर। 5 सो इसको मार दूगा। 6 मेरा। 7 तेरा। 8 परन्तु। 9 फिर मारा तो नही परतु कैद कर दिया। 10 इसको दीवानगीरी कभी नहीं देना, यदि देशो तो सिपाहीपनेकी जीविका देना। II पीछे मलिक अवर मर गया। 12 तन इनको दीवान बनाया। 13 जिसको टीका दिया। 14 फिर इतने उमरावोको नेदरे तुटाया।'