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________________ २६२ ] मुहता नेणसीरी ख्यात वणा कर सूतो। सिखरो वांस लागो थको ही प्रायो।' प्राय अर जोयो। देखै तो, कोई सूतो छ । जोयो, भाई ! असवार तो ऊ हीज । पण सूतो क्यु ?" ताहरां सिखरो घोड़ेसू उतरियो। उतरनै नैडौ आयो । प्रायने कपडो ताणियो ।' ताहरां मेळो जागियो। कहियो-'ठाकुरारो नाम ?' कह्यो-'मेळो सेपटो।' ताहरां सिखरो वोलियो-'मेळाजो ! चवरासी छेडी छै, ठांम-ठाम ढोल हुअा छ, ऊदै सारीखा रजपूत छेड़िया छै, अर थे पोढिया छो ? कासू जाणो छो?8 ताहरा मेळो बोलियो-'ठाकुरांरो नाम ?' कह्यो-'जो, म्हारो नाम सिखरो ।' ताहरां मेळे कह्यो-'सिखराजी ! हू तो बायड़ियो छू।" ताहरां कह्यो-'ऊठो ठाकुरां! अमल करो।' तोहरों कह्यो-'जी, अमल तो हू म्हारै पोतेरो खाऊ छू, सु म्हारो पोतो खिरियो।11 ताहरां सिखरै पोतो काढि अर हाजर कियो । कह्यो-'जी, प्रो ठाकुरारो पोतो छ, आरोगो । ताहरां सिखरैजी मेलेरै घोड़े छागळ हुती, तिका आणनै मेळेनू अमल करायो। ताहरा सिखरै कह्यो-'मेळाजी! आप पोढो, ज्यु हू ठाकुरांनू दाबू ।14 ताहरां मेळोजी पोढिया । सिखरोजी दुड़बड़ियां देण लागा, ज्यु मेळोजीनू अमल आयो, घोरांणो । ताहरां सिखरै मेळेजीनू जगाया । कह्यो-'जी, ठाकुरा ! उठो।' ताहरा मेळोजी जागिया । सिखरैजी अांख्यां छटाई, हथियार __I तब घोडेसे उतर कर और विछौना विछा कर सो गया। 2 सिखरा भी पीछे लगा हुआ था पहु चा। 3 आ करके देखा। 4-5 सवार तो वही है, परतु सोया क्यो है ? 6 उतर करके निकट आया। 7 आ करके कपडा खीचा। 8 मेलाजी ! चौरासी प्रदेशको छेडा है, जगह-जगह (वाहरके) ढोल बज रहे है, ऊदा जैसे राजपूतको छेड़ा है और तुम यहा पा कर सोये हुए हो? क्या जान रखा है तुमने। 9 सिखराजी । मैं तो अफीमका व्यसनी हू। 10 अफीम लेो। II अफीम तो मैं अपने ही पोतेका खाता हूँ और मेरा पोता कही गिर गया। 12 तव सिखरेने पोता निकाल कर हाजिर किया और कहा कि यह आपका पोता रहा, अफीम ले लीजिये (खाइये।) 18 मेलेके घोड़े पर छागल टंगी हुई थी जिसको लाकर सिखरेजीने मेलेको अमल-पानी कराया (अफीम खिलवाया) । (छागल=वकरीके बच्चेकी खालकी बनी हुई छोटी मशक)। 14 मेलाजी ! आप सो जाइये, सो मैं आपको चपी कर दू । 15 तब मेलाजी सो गये, सिखरोजी मुक्की देने (चपी करने) लगे, जैसे ही मेलोजीको अफीमका नशा आ गया और नीदमें पुराने लगा।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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