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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६१ धसियो। आगे जायन देखे तो ऊदाजी पोढिया छ । ताहरां मेळे जायन हथियारांरी वाधरयां वाढी । सेजबध वाढिया । अस्त्रीरी चोटी वाढी। तरगसारा पंखारा वाढिया। वाढनै मेळो पाछो वळियो ।'
इतरै रजपूतांणी जागी। जागी अर कह्यो-चोरासिया ठाकुर ! सेपटो ठाकुर आयो हुतो । माथै हाथ लावै तो चोटी नही । इतर सिखरो जागियो। ऊठनै बरछी हाथ लेयनै घोड़े आयो । अपलांण घोड़े चढियो, हाथ एकै बरछी लियां ।। सिखरैरो घोडो नै ऊदैरी घोड़ी, बेऊ एकी छान में बझै ।' सु घोडीरी वा बछेरी मास ११री सु घोड़े ही आगै चरै नै घोडी ही प्रागै चरै। सिखरो चढि अर नीसरियो, ताहरां वा बछेरी घोड़ेरै लारै हुई।' हिवं सिखरो बाहिर आयो । देखै तो घोड़ेरा खुर, मेह वूठो हुतो सु दीखण लागा' आगे देखै तो कूतरा वढिया पड़िया छै । कूतरारै कनारै धवळो सो क्यु पड़ियो छ ।10 जोयो, देखै तो अमलरो पोतो छै ।11 ताहरां सिखरैजी उठाय लियो, घात घोड़ेरै ..............." पगै लगाय फिटा किया।12
पछै मेळो कोढणैरै तळाव गयो । प्रभात हुवो। ताहरां मेट पोतो सभाळियो। देखै तो पोतो नही । ताहरा उतर घोड़ेसू, बिछा
1 पीछे कुत्तोको मार करके गावमे घुसा। 2 आगे जाकर देखा तो ऊदाजी सोये हुए है। तव मेलेने जाकरके शस्त्रोकी डोरियें काट दी, सेजवध काट दिये, स्त्रीकी चोटी काट ली और तरकशोके पख काट लिये । ये सब काट करके मेला वापिस लौटा। 3 इतनेमे सिखरा जगा। 4 उठ करके बर्थीको हाथमे लेकरके घोडोंके पास आया। हाथमे एक वर्शी लेकर विना जीन कसे हुए घोडे पर चढ गया। 5 सिखरेका घोडा और ऊदेकी घोडी दोनो ही एक छप्परमे बँधते है। 6 सो घोडीकी ११ महीनोकी बछेरी घोडे और घोडी दोनो के साथ चरती है। 7 तव वह बछेरी घोडेके पीछे हो गई। 8 अब जब सिखरा वाहर पाया तो देखता है कि वर्षा हुई थी जिसमें घोडेके खुर मॅडे हुए दिखाई देने लगे। 9 आगे देखता है तो कुत्ते कटे हुए पडे है। 10 कुत्तोके पास सफेदसा कुछ और पड़ा है। I देखा तो अफीमका पोता है। 12 सिखरोजीने उसे उठा लिया और घोडेके (हानेमे डाल और घोड़ेको एडी मार ?) चल दिया। 13 फिर मेला' कोढणे गांवके तालाब पर गया।