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________________ २४० ] मुहता नैणसीरी ख्यात प्रांतरीरो परगनो आमद देस माहै छ । तिण प्रांतरीरा परगना मांहै पठाररा गाम छ । त्यां पठाररा गांवां ईयारै उतनरी ठोड छ ।' भाखरसी नै भाखरसीरोकिाको छाजू दोनही वडा भूमिया, वडा रजपूत । 19 MIRRIAGE !! ITEPS माडवंरो पातसाह तिणेरी, हद महि प्रामंद देस माहै प्रातरीरो DILITIESrict परगनो गाव १४० लागे । वडो मुलक, वडी धरतो छ । सारा गाम दुफसला छ। आगै अांतरीरो कसबो कहीजतो। राजथान प्रांतरी हुतो। नै पातसाह अकबररी वार,मांहै, राव दूरग्रो हवो। तिण रामपुरो वसायो । हिवं रामपुरै चंद्रावतारो राजथान 'छ । चांद रावर पेट्ररा MER: THETITTE R Tipline चंद्रावत, प्रांतरीरा परंगना माहै वडा भोमिया । मांडवर पर्तिसाहर प्रातरोरो परगनो खालसे हुतों, सु परगनार हासलं माह चोथाई परापरीसौ भोमियार दाळरी लाग, सु अ परगना, माहै लेता, वखतI ITE' ori siriHIS PIPSTI गुदारी करता। -"AF fstri चद्रावत वडा रजपूत था, नै तिकां दिनां पातसाही पण हळकी IPTI) jjjण हुती; नै हिंदुवांरो दिन भलेरो हुतो । सु चंद्रावतां माहै भाखरसी झांझणोत ऊपर मुदार हुती । सह कोई चद्रावत भाखरसीर हुकम माहै हुता।' भाखरसीरो काको छाजू वडो रजपूत । छांजूर घरै वडो विभौ।' घोडिया, सांढियां, गायां, भैसिया । गायारा वडा धण हुता । चौपदो __ EFIST " प्रातरीका परगना, प्रामद देशमे प्राया. हुला, है, उस तरीके (परगनेमे जो पठारके गाव है, उन पठारके . गावोमे इनके निवासकी ठौर, है। 2 माडवके डादशाहकी हदमे प्रामद देश और उसमें प्रातरीका परगना जिसमे १४० गाव (लगते) है ।। राजधानी प्रातरी मेथी |ritrचदिशाह अकबरके समय राव। दुर्गा हुआ जिसने रामपुरा वसाया। अव (त्यात लेखनके समय) रामपुरा चद्रावतोकी राजधानी है। 15 राव चादक वंगज चन्द्रवित प्रांतरीके परगनेमे बडो मोमिये। 11116 माहवको नापणाहके पातरीका सरगना खालसे पा सो इस परगनेमेहासलका चौथा हिस्सा परम्परा में दाल की लाग' के नाम भोमियोका लगता था, सो ये वसूल' करके अपना गुजाराना करते 7 चन्द्रावत अच्छे राजपूत थे, उन दिनो (मांडव की) बादशाही निर्बल मडी। कई थी और हिन्दुओंका समय अच्या या चन्द्रावतीने दारोमदार मासरमीझामगोतके' अपर पीनभी चन्द्रावत मास की पाजामे घे" -8 भासरसीका 'चाचा 'छाजू अच्छा गजपन था, छारे परमे यदा वैभव था । - - .::.:75 ... '
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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