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महता नैणसीरी ख्यात महाराजा श्री सूरसिंघजीरै कंवरां रा नाम१. महाराजा श्री करणसिंघजी ३ सत्रसाल । ' २. अरजुणजी।
महाराजा श्री करणसिंघजीर कंवरांरा नाम१. महाराजा श्री अनोप
६. उदैसिघजी। सिंघजी*।
७ मदनसिघजो। २. केसरीसिंघजी ।
८. अमरसिंघजी। ३. पदमसिंघजी।
६ देवीसिघजी। ४ माहेणसिंघजी।
१० माळीदासजी। ५. अजबसिंघजी।
महाराजा श्री अनोपसिंघजीरै कंवरांरा नाम१. सुजाणसिंघजी।
४. रुद्रसिंघजी। २. अणदसिंघजी।
५. रूपसिघजी। ३ सरूपसिंघजी।
६. गजसिंघजी। अणंदसिंघजीरै कंवरां रा नाम१. महाराजा श्री १०८ श्री ३. तारासिंघजी । गजसिंघजी।
४. गूदड़सिघजी (गोदडसिघजी)। २ अमरसिंघजी।
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* महाराजा मनूपसिंघजी वडे विद्या रसिक हए हैं । इन्होने सस्कृत, राजस्थानी और व्रजभापाके सभी विषयोके सहनो हस्तलिखित ग्रथोका संग्रह किया था, जो आज अनूप सम्पत लाइब्रेरीके नामसे प्रसिद्ध है । 'नैणसीरी ख्यात' की भी सुलेख्य विश्वस्त हस्तलिवित प्रति हम पुस्तक मारमे मौजूद है । असली प्रतिकी यही पहली प्रति होनेका अनुमान दिया जाता है।
महाराजा अनूपसिंघजीके बादके राजानोंके नाम पीछेमे लिखे गये हैं जो अनूप सस्कृत लारीकी इस प्रतिमे वीच-चीन भिन्न भिन्न रक्षरोंसे स्पष्ट मालूम होता है।