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नाईसेनरो बेटो छ, न तो हू वर
कह्यो-'जु परभा
मुंहता नैणसीरो ख्यात
[ १६५ सेतरांम पण ऊभो रह्यो। ताहरां भैंसो राकस रूप कर बोल्यो। कहियो-'वडा रजपूत ! ओ राजा तो केहो कामरो न छै अर तू वरदाईसेनरो बेटो छै, सो तू म्हनै सौ बाकरा, सौ भैसा अर सौ मण दारूरी म्हनै वळ दै तो तोनै हू वर देऊ । ताहरां सेतरांम कह्यो-'तो किस दिन दियां ?' ताहरां राकस कह्यो-'जु परभात देज्यो ।' ताहरां सेतरांम कह्यो-'पा म्हारी बाह छै । परभातै वळ ले आवां छां ।' ___ताहरा सेतराम पालो आयो । ताहरा राजा पूछियो। कह्योसेतराम ! कोसू हुतो ?" ताहरा सेतराम कह्यो-'महाराज ! हिरण थो सु नीसर गयो । ताहरां झै अठै गोठ जीम घरै आया छ ।'
तद सेतरांम सौ भैसा, सौ बाकरा पर सौ मण दारू मंगायो। ताहरां रात आधीक गई, ताहरा सेतरांम वळ सरब ले अर अ राकसरै ठिकाण आयो । ताहरां बकरा, भैसा मार, दारू नाख अर राकसनू वळ दियो ।11 राकस त्रिपत हुओ। ताहरां राकस कही'जु, सेतरांम ! तू कहै तो तोनै द्रव्य वताऊं ?' ताहरा सेतराम कही-'द्रव्य तो म्हारै घणो ही छै, पण कोई इसो वर दै तैसू नाम रहै ।13 ताहरा राकस कही-'जा, तैमे पांच हाथियारो बळ हुसी।14 सेतरांम मे पाच हाथियांरो बळ हुयो । ताहरा सेतराम विचारियो'जु ईयै राजार तो न रहा, और कठे ही जायगा जावस्यां । ____ ताहरा सेतराम उठसू आपरो हक चुकाय अर चालियो सु केही
I तब सेतराम भी खडा रह गया। 2 तव भैसेने राक्षसका रूप बना कर कहा। 3 यह राजा तो किसी कामका नही है और तू है वरदाईसेनका पुत्र, अत तू मुझे १०० वकरे, सौ भैसे और सौ मन मदिराकी वलि दे तो मैं तुझे वरदान दू । 4. कौनसे दिन दू? 5 कल प्रभातको देना। 6 यह मेरी वाह है (मेरी प्रतिज्ञा है), प्रभातको बलि ले पाता हूँ। 7 क्या था वह ? 8 हरिण था सो निकल गया। 9 तव ये गोठ जीम करके घर पर आ गये है। (गोठ=प्रीतिभोज)। 10 जब अाधी रातके लगभग हो गई तब सेतराम वलिका सब सामान लेकर राक्षसके ठिकाने पर आया । II तब वकरे और भैसोको मार कर और शराब डाल कर राक्षसको वलि दी। 12 राक्षस तृप्त हुआ। 13 द्रव्य तो मेरे पास बहुत है परन्तु ऐसा वर दे जिससे मेरा नाम प्रसिद्ध हो। 14 जायो, तेरेमे पाच हाथियोका बल होगा। 15 अव इस राजाके यहाँ तो नही रहे, और कही दूसरी जगह जायेंगे।