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मुहता नैणसीरी ख्यात
अर जो परै दाय न ग्राऊं छू तो क्या गळं पड़िया छां नहीं ।"
र वेटो थाह छू सो तो धोयो ही उतरां नही । 2 और कमाय खावस्यां । ताहरा रावजी कही- 'जु, ग्रजू तो कमायो नही है । कमावसो तद देखस्या ?" ताहरा कुवर तो ठासी ऊठ घर आपर रहवास ग्रायो, पण उदास बहोत हुयो ।" ताहरां रात पड़ी ।
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ताहरा सेतरामजी घोडै जीण कराय ग्रापरा हथियार बाध चढ चालतो हु ।' ताहरां सेतरांम चालतो चालतो एक राजारं प्रायो । सेतराम राजासू मिळियो ।' ताहरा राजा सेतरामनू जात पूछ र पर गोढ राखियो । अवै सेतराम ग्रठे रहे ।"
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सु एक दिन राजा सिकार चढियो हुतो । 20 साथै सरव साथ छै । अर सेतराम पण साथ छै । तठे सिकार ग्राय कठै छाया
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बैठा छे ।' अठै एक राकस रहे । 32 सुतिको राकस म्रगरो रूप कर राजार वीच कर नीसरियो ।" तद राजा कह्यो - 'हाँ, जावण न पावे | 24 तद श्रौर तो सरब बैठा रह्या, ग्रर सेतरांम घोड़े चढ र लारें हुवो। 25 आगै म्रग और वांस सेतरांम । " ताहरां आगे रोही में जावतां राकस गरी भैसो हुवो। 17 ताहरा भैसो सेतरामरै साम्हा ग्रायो । " ताहरां
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1 और जो प्रापके पसद नही आता हू तो आपके कही गले तो नही पड़ा हू । 2 और आपका पुत्र हू सो तो घोनेसे भी नही मिट सकता । ( धोया ही नही उतरणोः १ असभव बात कभी सम्भव नहीं हो सकती । २ सम्वन्ध सम्बन्ध नही हो सकता ) । 3 और कही कमा खायेंगे | 4 अभी तक तो कुछ कमाया ( उपार्जन किया) नही है । कमानोगे तव देख लेंगे ? 5 तव कुमार यहाँसे उठ कर अपने निवासस्थान पर आ गया, परंतु उदास बहुत हो गया । 6 तव मेतरामजी घोडे पर जीन कसवा, शस्त्र वाँध और चढ़ कर 7 सेतरामजी राजामे मिला । 8 तत्र राजाने सेतरामको उसकी जाति यादि पूछ कर अपने पास रख लिया । 9 अव सेतराम यहाँ रह रहा है । JIO सो एक दिन राजा शिकारको चढ़ा था । 11 वहाँ ये शिकारके लिये आकर कही छायामे बैठे हुए है। 12 यहा एक राक्षस रहता है । 13 सो वह राक्षस मृगका रूप बना कर राजाके ( पडावके) वीचमे होकर निकला । 14 हा, सरदारो ! यह जाने नही पाये ।
चलता बना
15 और सेतराम घोडे पर चढ कर पीछे हुग्रा । 16 17 तब आगे जगलमें जाते-जाते राक्षस मृगमे भैंसा वन
सम्मुख श्राया ।
धागे मृग और पीछे तेतराम ।
गया ।
18 भैंसा सेतराम के