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॥ श्री गणेशाय नमः ।। अथ वात सेतरांम वरदाईसेनोत राठोड़री लिख्यते
राजा वरदाईसेन कनवज माहै राज करै । सो वरदाईसेनजीरै सेतराम कुवर सो वडो सिरदार । पण नित्य-प्रत ३ पईसां भर अमल खावै तीनै वखते ।' पण डील बहोत चाक रहै । ताहरा कि हिकै राजानू कह्यो-'जु महाराज कुमार तो तीन पईसा भर अमल रोज खावै छै। ताहरां राजा वरदाईसेनजी कही-'दीस तो चाक छै, पण अमल खोवै छै तो उरहो बोलावो ज्यु पूछां। ताहरां सेतरांम वरदाईसेनजीरी हजूर आयो। ताहरां राजा पूछियो। कह्यो'कुमार ! तू अमल कितरोक खावै छै ?; ताहरां कुवर कही'महाराज ! हू तो अमल कोई खाऊ नही । ताहरां वरदाईसेनजी कह्यो-'तो म्हारी प्रांण छ, साच बोल ।” ताहरां कुवर सेतरांम कह्यो-'राज ! तीन वखतै तीन पईसां भर अमल खाऊ छू । ताहरा राजा अमल मगाय खवायनै देखियो ।' ताहरां राजा कह्यो-'वेटा ! जके तीन पईसा भर अमल रोजीना खाय, तिणसू काई भली होणहार नही । वेटा ! थे बेहवाल हुआ 110 तद कुवर कही-'राज ! अमल खाधो तो कासू हो ? पण कठै मेल जोवो, काय चाकरी भळाइ जोवो ?11 देखां, किसोइक काम करू छू।12
- परतु नित्य प्रति तीन पैसे भर (लगभग सवा पाच तोले) अफीम दिनमें तीन बार करके खा जाता है। 2 परतु गरीर बहुत तदुरुस्त रहता है। 3 तव किसीने राजाको कहा कि 'महाराज-कुमार तो तीन पैसे भर नित्य अफीम खाता है।' 4 दिखता तो निरोग है, परन्तु जो अफीम खाता ही हो तो यहा बुला लो सो पूछ कर देख ले। 5 कुमार । तू कितना अफीम खाता है? 6 मैं तो अफीम नही खाता। 7 तुझे मेरी शपथ है, सच कह दे। 8 महाराज | दिनमे तीन समय तीन पैसो भर अफीम खाता हूँ। 9 तब राजाने अफीम मगवा कर और खिला कर जाच की। 10 पुत्र | जो तीन पैसो भर अफीम नित्य खाता है, उससे कोई भला (पुरुपार्थ) होने वाला नही । पुत्र ! तुम बेहाल हो गये। II अफीम खाने लग गया तो क्या हुआ ? कही भेज कर देख लीजिये, कोई चाकरी जिम्मे देकर देख लीजिये ? 12 देख ले, कैसा काम बजा लाता है।