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________________ ॥ श्री रामजी ॥ भिन्न भिन्न वाकांरा संमत' गढ, लियारी विगत समत १११७ दिली तुरकांणो हुवो। चहुवांण रतनसी जुहर कर कांम आयो । गजनीसू पातसाह साहिबदी लीधी। समत १६२४ मिगसर वदि२ पातसाह अकबर प्राय चीतोड घेरियो । चैत वदि११ गढ तूटो । राठोड़ जैमल काम आयो । पतो सीसोदियो, मालदे पमार, बीजो घणो ही साथ काम आयो । समत १५६२ श्रावण सुदि११ चांपानेर पातसाह हमाउ आयो । राव प्रतापसी चहुवांण जुहर कर काम आयो। समत १३६१ पातसाह अलावदीनरी फोजां जेसळमेर आई। वरस १२सू गढ तूटो। रावळ मूळराज रतनसिंघ काम प्राया।' संमत १३५२ पातसाह अलावदीनरी फोजां आई। गढ दोलतावाद तूटो। जादव रांम काम आयो।' समत १३५० गढ ग्वाळेर तूटो । राजा मांन तुवर पासा पातसाह अलावदीन गढ लियो । पछै पातसाह गढ चढियो। • I अलग अलग युद्धोके सम्वत् । 2 गढ विजय किये उनका वर्णन । 3 सम्वत् १११७मे दिल्लीमे तुर्कोका राज्य हुआ। चौहान रतनसी जौहर कर काम आया। गजनीमे बादशाह शाहबुद्दीनने आकर दिल्ली पर अधिकार किया। 4 सम्वत् १६२४ मृगशीर्ष कृष्ण २को वादशाह अकबरने चित्तौडको घेरा। चैत्र कृष्ण ११को गढ टूटा । राठौड जयमल काम आया। पत्ता शिशोदिया, मालदे, पँवार और दूसरा बहुत साथ काम आया। 5 सम्वत् १५६२ श्रावण शुक्ल ११ वादशाह हुमायु चापानेर पर चढ कर पाया। राव प्रतापसी चौहान जौहर कर काम पाया। 6 सम्वत् १३६१मे वादगाह अलाउद्दीन की फौजे जैनलमेर पर चढ आई। बारह वर्षोंमे गढ टूटा । रावल मूलराज और रतनसिंह काम आये। 7 सम्वत १३५२मे वादशाह अलाउद्दीनकी फौजे दौलतावाद पर चढ कर पाई। दौलताबादका गढ टूटा। यादव राम काम प्राया। 8 सम्वत् १३५० मे ग्वालियरका गढ टूटा । राजा मान तोमरसे वादशाह अलाउद्दीनने गढ लिया, फिर बादशाह गढ़ पर चढा ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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