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________________ ॥ श्री गणेशाय नमः ॥ जोधपुररो पीढियां (टीकै बैठारी विगत') समत १५२९ राव सातल टीके वैठो मडोहरमें । समत १५४६ राव सूजो टीकै वैठो। समत १५७२ राव गागोजी टोकै बैठा । समत १५८२ राव मालदेवजी टीकै वैठा। समत १६१६ राव चद्रसेणजी टोकै बैठा। समत १६४० राव उदैसिंघजी टोकै बैठा । पछै राजाईरो टीको दियो। समत १६५२ राजा सूरसिंघजी टीकै बैठा। समत १६७६ राजा गजसिंघजी टीक बैठा। समत १६६५ राव अमरसिघनूं टीको देने नागोर दियो । समत १६६५ महाराजाधिराज श्री जसवतसिघजी टीक गैठा । । इति श्री पीढियारी टीक वैठारी विगत सपूर्ण ।। ॥ शुभ भवतु ।। ___ जोवपुरकी पीढिया और राज्यासीन हुए जिसका विवरण। 2 सम्वत् १५२६मे राव लातल मडोरमे टीके वैठा। (राव सातलके राज्यतिलकका समय सवत् १५४५ जेठ सुदि ३ का है। स० १५४५मे राव जोधाके देहान्तके वाद जोधपुरमे सातल उनके पट्टाधिकारी हुए।) 3 सम्वत् १६४० राव उदयसिंहजी टीके बैठे। पीछे राजाकी उपाधिका टीका दिया गया। 4 सम्वत् १६६५मे राव अमरसिंहको टीका देकरके नागोर दिया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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