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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात अद्दल थरकै ' खळ दूर थका लोहट पाट विराजियो, राजन बोबौ 8 वरतै श्रांण । सिद्धां गृह साधक हवे', ज्ग - मालम' बैसे गादी बोब-उत, वेगो वंस 8 1 4 रांग ॥ १६ रांणो मांणकराव छापर धणी जु छत्रपति, सामंत वेग- सुजाव घर खागां बल धूप, साख चोवीसां सोहियो, नरां चढावै रांगा मांणकराव, सांगो पाट सोहै चवदे-चाळसे, लेखीजै भुज सांगारी गादी सुगह, रांग तर्फे साह सिकदर सकियो 16, रुप गादी बछराजरी, मेघो मोहिल दाता - मोहरी 19, जस गाहक सुकवि पालग वैरसल, मेघावत मोहिल दीघा मांगणां हित दाखे वैरावत कुळ वाचिज, दीपक दे पिसुणां खग- जैत' | वांत ।।१७ 9 10 11 सधीर 13 नीर - 2 | लाज 1 4 वछराज 15 [ १७१ 1 ॥ १८ 21 वरहास 22 । जाळपदास 2 2 ॥ १६ ॥ २० सिर दौड़ 17 .18 स सु मौड़ - 8 ।। २१ गुण जाण । महरांण 2 ° ॥ २२ ॥ २३ 6 1पित होते हैं । 2 दूरसे ही । 3 जिसकी अदल श्राज्ञा प्रवर्त होती है । 4 लोहटके पाट बोबा राणा वैठा । 5 सिद्धोके घरमे साधक ही उत्पन्न होते है । जग प्रसिद्ध | 7 खड्गके द्वारा विजय प्राप्त करने वाले । 8 बैठा, बैठता है । 9 वशमे ध्वजा-रूप वोवेका पुत्र वेगा । 10 वेगाका पुत्र । II राणा मारणकराव खड्ग-वलसे शत्रुश्रोको जीत कर उनकी धरतीको अपने अधिकार मे कर उसका उपभोग करता है । 12 मनुष्योमे प्रतिष्ठा बढानेवाला चौहानोकी चौबीस शाखाग्रोमे शोभित हुआ । 13 राणा माणकराव की गद्दीपर धैर्यवान सागा श्रासीन हुग्रा । 14 वीरोकी भुजाओ का लाजरूप माना जानेवाला चौदह-चालकी भूमि मे शोभित है । 15 सागाकी गद्दी पर उसका पुत्र बछराज राज्य करता है । 16 भय माना, डर गया । 17 शत्रु पर आक्रमण करता है । 18 बछराजकी गद्दी पर वशका मुकुट मेघा स्थापित हुआ । 19 मोहिल दानदाताग्रोमें प्रथम । 20 दानियो में महार्णवके समान विशाल हृदय वाला दानी मेघा जिसका पुत्र कवियोका पालन करने वाला वैरसल हुआ । 21 मोहिल (वैरसल) ने हितपूर्वक याचकोको घोडे दानमें दिये । 22 उस वैरसलके वशका कुल दीपक जालपदास हुआ ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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