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________________ १७० ] मुहता नैणसीरी ख्यात सुवस किया' खेड़ा सकल, चक्रवत चवदै-चाल । मोहिल तपियो महपती', सुजन तणो सीगाळ ॥ ७ रेणा' कीधी प्रापरी, सह अत्रखा सत्त। मोहिल तरण उदियो मछर11, दीपक वस हरदत्त ॥८ रांग वडम'छळ रक्खवा, आपण पांण अबोहर । दळनायक हरदत्तरै, सोहै वस वरसोह1516 कुळ दीपक चढती कला, सुत वरसीह सुचाव । हाथाळी जुग-पुड़"हुवी, रांगो बालहराव ॥ १० राज वसरा रेहलो, चूको जाव सुचल्ल । वाहळरौटीको वडम, ले दीनौ प्रासल्ल20 ।। ११ अतुळीवळ राखण अचड़, भुज निरवाहण भार । आसलरै उदियो अभग, आहड़ वस-उदार23।। १२ सोह मेवासी सकिया24, भूप लियेवा भीह। पाहड़ तण तपियौ इळा2 , सादूळो रणसीह ॥ १३ सुर है' चवदै-चाळ सै, दोन्है कळप दुवाह। साहरणमल रणसीहरौ, पतगरियो पतसाह° ॥ १४ बळहट दव ... वडम, हुवा मुकत्ता हट्ट। पाट जु साहणपाळरै, लाज भुज लोहट्ट ॥१५ * 'चवदै-चाळ' (चौदहमी चालीस गावोका क्षेत्र)। गावोकी सख्याके उदाहरणके लिये देखिये त्यात भाग १, पृ० '२८७ I भली प्रकार वसाया (भली प्रकार वशमें किया)। 2 गाव। 3 चौदहसी चालीस गावोका प्रदेश। 4 शासन किया। 5 राजा। 6 सुर्जनका निर्भीक पुत्र । 7 पृथ्वी। 8 उदृ ड वीर। 9 पुत्र । 10 उत्पन्न हुआ। II चौहान । 12 वडा, श्रेष्ठ। 13 (१) युद्ध, (२) लिये, कारण। J4 निर्भय और शक्तिमान । IS सेनानायक हरदत्तके वरसिंह (वैरसीह) नामका पुत्र शोभायुक्त है। 16 वलगाली हाथो वाला। 17 पृथ्वीतल। 18 वालहराव (वालहर) राणा । १६ वालहराव (वालहर) की ऊन मजा । 20 बालहरावका उत्तराधिकारी राणा आसल । 21 अतुलित बलशाली। 22 कीत्ति । 23 पासलका पुत्र पाहड बडा अभग और वशमे उदार उत्पन्न हुया । 24 समस्त मेवानियोने भय खाया। 25 डर। 26-27 फिर पाहडके पुत्र सिंहके समान प्रलशाली रणसिंह (रणसी)ने पृथ्वी पर शासन किया। 28 गायें। 29 घोडे । 30 बादगाहको जिसने वरामे किया। 31 अपनी सुदृढ भुजाओंके वल राज्यकी लाजको गने वाला लोहट साहनालके पाट पर आसीन हुआ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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