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________________ 3 चाह हुवो चहुवाणरो', प्रथमी गढ जस-पूर । " चक्रवत' उदियो चाहरे, समवड़ मघवन सूर ॥ १ महि-पुड़ भोच' प्रवाडमल, भूबळ श्रापण भाव । सिंघ हुवो घणसूर, रूपक वँस इदराव ' ॥ २ पात वडा सारी प्रथी, जपै सदा जस जीह" " । रढवांवण 11 इंद्ररावरै, उदियो प्रजण पूरबली पळ पाळवा, तुड़ तांणग जण तणो वंस प्रोपियो, सुजन हुवो 10 अबीह 1 " ॥ ३ मुँहता नैणसीरी ख्यात दूहा पीढियारी विगतरा १ चौहान २ सोनगरा ३ खीची ४ देवडा [ पिछले पृष्ठ का शेष ] कर्नल टॉडने जो नाम दिये है, उनमे ६-७ नामोको छोड़ करके सब दूसरे है । टॉड की सूची इस प्रकार है ५ रोसिया ६ साचोरा ७ पविया भेदोरिया ६ हाडा १० चाट्दू ११ चाचेरा १२ सूरा 13 गहवत । सामत 24 ॥ ४ 14 १३ पूरबिया १४ मादडेचा १५ वालेचा १६ गोहिलवाल १७ भूरेचा १५ तसेरा १६ विरवास २० संकरेचा २१ निकुभ २२ भावर [ १६६ २३ मालग २४ वकट I चहुवान का पुत्र चाह हुआ । 2 पृथ्वीके गढ़पतियों में पूर्ण कीर्तिमान हुआ । 3 चक्रवर्ती । 4 उत्पन्न हुआ । 5 इन्द्रके समान शूरवीर, ( मघवन + सूर घन + सूर 7 घरणसूर ) 6 पृथ्वीतल 17 वीर । 8 यशप्राप्त वीरो मे वीराग्रणी । 9 घरणसूरके वशमे सिंहके समान नोज गुणो वाला इद्रराव ( इद्रवीर) उत्पन्न हुआ । 10 सारी पृथ्वी के बड़े-बडे चारण कवि उसका यश वर्णन करते हैं । 11 - 12 महाहठी इन्द्ररावके निर्भय पुत्र अर्जुन उत्पन्न हुआ । (रढरावण = रावणके समान वली और हठीला 1 ) 13 वह पूर्ण बलवान शूराभिमानी थोर उपकार प्रोर युद्धके अवसरोको तुरत साधनेवाला था । 14 अर्जुनका पुत्र सुजैन (सुर्जन) भी सामत और वशको सुशोभित करने वाला हुआ ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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