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________________ महता नेणसोरी ख्यात . [ १६३ साथै सारंगखान पठाणनू मेलियो। पछै सारगखांन पठाण, नरबद मोहिल, वाघो कांधळोत राठोड़ में सारा ही चलायनै फतैपुर जूझणूरी पाखती आया । रांणो वैरसल पण आय भेळो हुओ। ' राव जोधाजी पण आपरा मांणस हजार ६००० लेनै सामा आया। औ पण फतैपुर नै छापररी काकड माथै आया। दोनू फोजा दोनू तरफ आई । प्रायनै उतरिया । दोनू तरफां वेढरी तैयारी हुवै छै। ___ताहरां राव जोधजी राठोड वाघा कांधळोतनूं छांनै तेडायो।' तेडनै जोधैजी कह्यो-'साबास ! भतीजा तोनू ! म्हां ऊपरी मोहिलारै वासतै तरवार बांधी। भोजायां बैरानू बध कराईस ?' ताहरां ईयै वाघे विचार दीठो-'यां मोहिलारै वासतै पा करू छू भायातूं, पण भली नही। ____ ताहरां वाय रावजोनूं कह्यो-'हू थां माहै छू । कहो सु तरदोज करू । थांहरै फायदो होय सो करू ।10 ताहरा वाघे रावजीनू कह्यो'मोहिलारै घोड़ा दूबळा1 छै । घोडारा पग ऊपड़े न छै ।12 सो या तीरा हू पाळांरी वेढरो मतो कराड़ीस । नै पठांण कहसी-'म्है चढिया वेढ करस्यां । यां कनां हूं मतो कराऊ छू। मोहिल ___I इनके साथ सारंगखान पठानको भेजा। - 2 फिर सारगखा पठान, नरवद मोहिल और राठौड वाघा काधलोत-ये सभी चला करके फतहपुर झुझुनू के पास आये। 3 राव जोधाजी भी अपने ६००० प्रादमियोको लेकर सामने आये। 4 ये भी फतहपुर और छापरकी सीमा पर आये। 5-6 पाकरके ठहरे हैं और दोनो ओर लडाईकी तैयारियां हो रही हैं। 7 तब राव जोधाजीने राठौड वाघा काधलोतको गुप्त रीतिसे अपने पास बुलवाया। 8 वुला करके जोधाजीने कहा-'भतीज ! तेरेको शावास है. मोहिलोके लिए मेरे ऊपर तूने तलवार वाधी है, अपने कुल की भोजाईयां प्रादि स्त्रियोको कैद करवायेगा ? 9 इस पर वाघाने विचार कर देखा---'इन मोहिलोके लिए भाईयोके साथ ऐमी वात करूं यह तो वास्तवमें अच्छी बात नहीं। 10 मैं तुम्हारे साथ हू, जो तुम कहो सो तजवीज कारूं, तुमको जिस प्रकार लाभ हो वही करू II दुर्वल। 12 घोहोके पग नही 'उठते हैं।' I3 इसलिए मै इनसे पैदल लडाई करनेका निश्चय करवा दूगा । 14 और ‘पठान तो कहेंगे ही कि हम तो सवार होकर ही लडाई करेंगे 15 सो इनसे में इस प्रकार निश्चय करवाता हूँ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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