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________________ १६४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात 4 पाळा लडसी', तिको तमाचो डावै हुसी नै पठांणारो तमाचो जीमणो हुसी । 2 सु थे लोह मिळतै सारा मोहिलांरो साथ पाळो हुसी, तिणा ऊपर घोडा नाखज्यो । पाळो साथ हुसी सु नीसर जासी । तुरक चढिया छे, त्या ऊपर तरवारिया खेरज्यो । मरणहारा छै स मरसी सु बीजा तुरक भागजासी । 2 यू मचकूर करने वाघो उठ गयो । ' 5 6 8 10 या मोहिलासू मसलत वेढरी कीवी । ' मोहिल लोह मिळिया | 20 सु मोहिला ऊपर राठोडारो साथ तूट पडियो | 11 सु ग्रे पाळा धको झाल सगिया ही नही, नीसरता हुवा | 12 3 4 7 राव जोधंजोरै साथ नै सारगखान वडी वेढ** हुई | पठाण सारगखान माणस ५५५ सू खेत पडियो । " बाकीरा के घावै पड़िया, के नीसर गया।'' खेत राव जोधैजीरे हाथ आयो ।” राव जोधैजीरी वडी फतं हुई | राव जोधोजी द्रोणपुर पाछा श्राया । राव धरती माहै वडो जमाव कियो । 18 राणो वैरसल पाछो मेवाड नानाणे " गयो, नै, नरबद फतैपुर काठ पडियो रह्यो । 29 मोहिलाथा धरती छूटी 120 21 राठोडारी सायबी वडी जमीयत हुई । " राव जोधोजी कुवर जोगनू आ ठोड देखने दीधी । " पछे आप मडोहर पधारिया । 22 1-2 मोहिल पैदल लडेंगे सो उनको टुकडी वाई प्रोरको होगी और पठानोकी टुकडी दाहिनी ओर होगी । 3 सो भिडत शरू होने के समय मोहिलोंका साथ, जो पैदल होगा, उन पर अपने घोडे डाल देना । + जो सैनिक पैदल होगे सो भाग निकलेंगे । 5 तुर्क चढे हुए होंगे जिनके ऊपर तलवारोसे प्रहार कर देना । 6-7 मरने वाले हैं सो तो मर ही जायेगे और दूसरे तुर्क भाग जायेंगे । 8 इस प्रकार मजकूर (उक्त निश्चय ) - करके वाघा उधर चला गया । 9 मोहिलो के पास जाकर यही मसलहत (गूढ और हितकारक परामर्श ) लडाईके सम्बन्धमें की । 10 मोहिल शस्त्र लेकर भिडे । 11 सो मोहिलो के ऊपर राठोडोका साथ टूट पड़ा 1 12 सो ये लोग पैदल थे, प्राक्रमरणका धक्का नही सम्हाल सके, भाग खडे हुए 13 और 1 14 लडाई | IS - 16 पाचसौ पचपन आदमियो के साथ पठान सारगखान खेत रहा, शेष कई ग्राहत हुए और कई भाग निकले। 17 राव जोधाजीके हाथ खेत प्राया ! 18 ननिहाल । - 19 और नरवद फतहपुरके पास पडा रहा ! मोहिलोंसे धरती छूट गई । 21 राठौडोकी वहा बडी प्रभुता और जमीयत हुई । यह ठोड देख कर राव जोधाजीने इसे कुंवर जोगेको दे दी । - 20 22
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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