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________________ महता नैणसीरी ख्यात [ १६१ कुवर मेघो वछू रावरो बेटो नीसरियो । राव जोधैजी जाय छापर मारियो । राव जोधेजी धरती मांहे अमल कियो । सु मेघो जोरावर सुमेधै आगा धरती वस सगँ नही । नै कटकनू रातीवाहा दे । " ताहरा रावजी विचारियो - 'मेघा जीवतां धरती श्रावणरी नही ।' तिण ऊपर मास दोय अठै रहिने, धरती मारने' पाछा मंडोवर पधारिया । 4 8 1 13 14 मेघो कुवर पाछो द्रोणपुर छापर प्रायो । मेघो टीकै बैठो। रांणो मेघो हुवो । वडो रजपूत, वडो तरवारियो, वडो राहवेधी, वडो जोरावर । सु राव जोधोजी राणे मेघेनूं मारणरो तलास घणी ही करें, पण हाथ प्रवणरो नहीं । मेघो वडो भोमियो हुवो ।' पर्छ कित रेहेक वरसै मेघो काळ प्राप्त हुवो 20 ताहरां भाया धरती माहै धूळ माडियो ।22 ताहरां धरती भायां वंट हुई । ठकुराई निबळी पडी । 12 १६ भाग हुआ। रांणा मेघारे पाट रांणौ वैरसल हुवो, सु राणा कुंभै सीसोदियैरो दोहितरो । बीजो बेटो नरबद, तिको रावत काधळ रिणमलोतरो दोहितरो ।" वैरसल टीकै बैठो । रांणो वैरसल हुवो, सु निबळो सो ठाकुर हुवो । भाई बंध सगळा मांणस हुता सु धरती वंटाय लीवी ने माहोमांही भाइयां खसण लागी ।" रोजीना आपस मे वेढां हुवै, सु सारा डीलां कट निवडिया । 27 मोहिलारी ठकुराई निबळी पड़ी । 17 अर राव जोधोजी मंडोहर भोगवै, सुपाखती" जोरावर साहिबी । सु रावजी विचारियो जु, श्राज मोहिल निबळा पडिया छै राव वछूका वेटा कुवर मेघा बच करके निकल गया । 2 छापरको लूटा । 5 और कटकके 4 3 अपना श्रमल जमाया । 4 मेघेके आगे धरती वस नही सकती । ऊपर रातको हमला करे 1 6 यहा रह करके । 7 धरतीको लूट करके । 8 मेघा राणा हुआ । मेघा वड़ा वीर राजपूत, बड़ा तलवार चलाने वाला, बड़ा दूरदर्शी और वडा जोरावर । 9 मेघा बड़ा भोमिया हुआ । 10 पीछे कितनेक वर्षो वाद मेघा मर गया । 11 तब भाईयोने देशमें बड़ा उपद्रव मचायो । 12 - 13 देशके १६ भाग हो गये और ठकु राई निर्बल पड गई । 14 राणा मेघांकी गद्दों पर वैरसल राणा हुया । · IS दूसरा बेटा नरवद जो रावत काधल रिणमलोतका दोहिता था । 16 जितने भी भाई-बन्धुप्रोके मनुष्य थे उन्होने धरतीका वट करवा लिया और भाइयोमें परस्पर खीचातानी होने लग गई। 17 रोन युद्ध होते रहते हैं इसलिए सब ( मोहिल ) परिवार आपसमें ही कटकर खत्म हो गये । 18 पासमे ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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