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________________ १६० ] __ मुहता नैणसीरी ख्यात तर अजीत पूछियो-'यांपा वासै घणो सो साथ दीस तिको किणरो ?'1 तर या कह्यो-'थांसू राव जोधै चूक कियो थो, सुरांणीजी जांणियो।' ताहरा म्हानू कहाड़ियो-'थे जमाईनू लेने परहा चढो । ताहरा म्हे थासू तोत करनै थाने इतरी भुय आणियां ।' आ' वात कही, ताहरा अजीत घणो बुरो मानियो। कह्यो-'थे म्हारो सबळी पण* घटायो ।” ताहरां अजीत आपरा साथ सारैसू वान' वांस10 आया देख ऊभो रह्यो।। रावजी पण चलाय गया । दोनू तरफा लोह मिळियो ।12 मामलो हुवो 13 अजीत माणस ४५ सू काम आयो । गांम गणोडे वेढ हुई ।। राव जोधोजी अजीतन मार पाछा वळिया ।15 मडोवर पधारिया । बाई राजा अजीत वांस सती हुई।16 हमै राठोडा नै मोहिला माहोमाहि सबळो वैर पड़ियो ।” राठोड सबळा, मोहिलारी ठकुराई सबळी, पण भाईबधे मेळ घणो काई नही। यु करता वरस १ श्राघो नीसरियो ।19 नै मोहिलारी धरती ऊपर , राव जोधे डांण घातियो । सारा भाईबंध भेळा करनै राव जोधोजी चढ मोहिला ऊपर पाया। रांणो वछराज सांगावत माणस २६५ सू मारियो। मोहिल हारिया। पग छूटा 121 राव जोधैजीरी फतै हुई । * एक प्रतिमें 'सबळापण' पाठ है। 'म्हारो सवळापण घटायो' = १ मेरी वीरतामें कलक लगवा दिया। २ मेरी सवलता घटा दी । ____ 1 अपने पीछे वडीसी सेना पाती दिख रही है वह किसकी है ? 2 तव इन्होने कहा कि तुम्हारे साथ राव जोधेने चूक करनेका विचारा था, जिसका राणीजीको पता लग गया। 3 तव उन्होने हमको कहलवाया । 4 तुम मेरे दामादको लेकर रवाना हो जायो। 5 तब हम वनावटी वात करके आपको इतनी दूर ले आये। 6 यह। 7 तुम लोगोने मेरी जो नवल प्रतिना थी, उसको घटा दिया (उसमे वट्टा लगवा दिया।) 8 अपने । 9 उनको। 10 पीछे। I खडा रह गया । 12 दोनो ओरके शस्त्र मिले । 13 लडाई हुई। 14 गणोठे गावमें यह लडाई हुई। 15 पीछे लौटे। 16 राजाबाई अजीतके पीछे सती हुई। 17 परस्पर बहुत जबरदस्त शत्रुता बधी। 18 परन्तु उनके भाई-ययुगोमें परस्पर अधिक मेल नही। 19 इस प्रकार एक वर्ष निकल गया । 20 मौकेकी नाकमें रहा। 21 मोहिलोके पग छूट गये ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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