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मुंहता नैणसोरो ख्यात
[ १५७ मोहिलरी फतै हुई। मोहिल सारी धरती मार मनाई ।। मोहिल छापर टीक बैठो। रांणारी पदवी दीवी । मोहिल प्रापरी वडी जमीयत कीवी । गांम १४०० वसाया । वडी धरती खाटी ।' वोहरै सतननू रांणै मोहिल सुरजनोत लाडणू परगना माहै छापरथी' कोस ७ गाम कसूबी छ, तिका गाम ५ सू दीधी ।' नै कह्यो-'थे कसूबी जायनै आपरी वसी करावो ।" वोहरो संतन कसूबी वसियो ।' वडी वसती कीवी। वोहरै संतन १ देहरो शिखरबंध श्री ठाकुरांरो करायो । न वावडी' १ वधाई छ । तिका वावड़ी अजेस तांही संतनरी कहीजै छै ।
वागडियां तीरा मोहिल धरती लीवी छ । मोहिल नै देवराम वोदावत माहोमांहि वेढ कीवी छ, तिणरी साखरा बे-खरी छंद चारण चांपै सामोररा कह्या छ, तिणमे साख प्रांणी छ ।'
मोहिलरै पेटथी मोहिलारी साख चहुवाणां मांयसू नीसरी।
____ I मोहिलने सारी धरतीको बलपूर्वक अपने वशमे किया। 2 सुरक्षा और राज्य कारोवारके लिये घोडो और ऊटो सहित सवारोका मुकम्मल थाना । 3 बडी धरतीको प्राप्त किया। 4 छापरसे। 5 जिसको ५ गावोके साथ प्रदान किया। 6 तुम कसूवी गावमे जाकर अपनी बसी (वस्ती) कायम करो। 7 वोहरा सतन कसू बीमे जाकर बसा । 8 बोहरे सतनने एक शिखरवध मदिर श्री ठाकुरजी (श्रीकृष्ण)का वहा बनवाया। 9 वापिका । 10 वह वावली अभी तक 'सतनकी वावडी' कही जाती है। 1 मोहिल और देवराम वीदावतने आपसमे लडाईकी जिसकी साखके 'वे-प्रखरी' छद चारण चापेके रचे हुए है, जिनमे इस लडाईका प्रामाणिक वर्णन किया गया है। 12 मोहिलके वासे चौहानोमे मे मोहिलोकी शाखा निकली ।