________________
१५६ ]
मुहता नैणसीरी ख्यात
2
4
हेठै ।' क्यु हेक जोरावरां हेठे । " नै छापर द्रोणपुर : रजपूत प्राया । श्र ठोड सखरी दीठी। अर सहल हीज दीठी । कोट मांहै घणा सा आदमी को नही । ताहरां रजपूता श्रा ठोड़ हेरी । " हेरनै पाछा गया ।' जायन मोहिलनू हकीकत मालम कीवी
।
8
10
11
तथा
।
तिण ऊपर मोहिल धरतीरो साथ भेळो कियो । वागड़ी हजार पाच माणसारा धणी था । " नै मोहिल माणस हजार पनरै' सतरं भेळा किया। सु मोहिल तीरे खजानो नही, नै धरती अळगी । 14 तिणरो वडो सोच हुवो । 25 तिण ऊपर रांणा सुरजनरे दरबार माहे वोहरो सतन वडो माणस हुतो, तिणनू तेडने मोहिल को" - हे एक ठोड लेणी तेवडी छै", तिण सारू कटक भेळो
15
6
--
कियो छै, पिण खावणनू क्यु ही नही छे, थे म्हांरी गरज सारो, करज यो 18 ताहरा संतन वोहरै को- 'थाने पईसा कहसो सो देईस । " घे तयारी कर चढो ।' सतन वोहरे खत कियो । खरच दियो । हमे सतननू साथ लेने चालिया 120 उठारा चालिया ग्राणजकरा मोहिल छापर द्रोणपुर ऊपर थाया। 21 वागड़ी पण सारो साथ लेने बारे श्राया । वडी वेढ" हुई | माणस हजार १००० दोनू तरफांरा कांम ग्राया । तिण माहै" " वागडी घणा सिरदार कांम आया । वागडियां रा पग छूटा ।" वागडी नाठा ।" धरती मोहिलरं श्राई । "
22
27
।
1 भाईयों के विकार मे । 2 कुछेक बलवानोको दवाई हुई । 4 यह जगह अच्छी देखो । 5 और अधिकार करनेमे सरल दिखाई दी तीने इस जगह को लेना निश्चय किया । 7 निश्चय कर वापिस लौटे । 8 मोहिल पास जा करके उसे सब हकीकतने वाकिफ किया । 9 जिम पर मोहिलने अपनी धरती के यो इट्टा किया । 10 वागडी पांच हजार मनुष्योके स्वामी थे । 17 सत्रह | 13 के पास
|
14 दूर | 15 इसकी वडी चिन्ता हुई । मैने एक जगह को लेने का इरादा किया है ।
18 तुम
कमोलिने कहा । 17 हमारी जरूरत पूरी करो और कर्जा देग्रो । 19 जितना कहोगे उतना पैसा तुमको दूगा । 20 मंतन योहरे ने सत लिखवाया । ग्रव संतनको साथ लेकर चले । ( वोहरो = ऋण शता गर्ने ऋण पत्र ) 21 यहां से चल कर प्रचानक छापर द्रोणपुर ऊपर मोहिल चढ 22 वारी भी प्रपना सद माय लेकर बाहर पाये । जिसमे 25 वाहियों पाव टूट गये । 26 वागही भाग गये । किरा गई।
Lit 1
23 लडाई | 24
27 धरती मोहिलके
ये ।
3
6 तव
11 पन्द्रह |
16 जिसको