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मुहता नैणसीरी ख्यात
[ १४३ 'आरती न करा।'' ताहरां कवल वचन दे, गळे हाथ लाइ गई।' सुपियारदे पीहर आई।
जितरै जांन पण आई। ताहरां नरबदजी तोरण आया। बाजोट ऊपर आय ऊभा ।' कह्यो-'पारतीरी तैयारी करावो ।' सुपियारदेनू कह्यो-'जु आरती करै ।' ताहरां सुपियारदे कह्यो-'हू आरती न करूं ।' तद छोटी बहन सुपियारदेरी आरती करणनू आई। नै नरबदजीनू कह्यो-'राज ! सुपियारदे आरती करै छै ।' तरा नरबदजी कह्यो-'म्हैसू रामत करो छो, जु, हूं आँधो ? आ सुपियारदे नही हुवै ?
ताहरां आपरा लोकांनू कह्यो-'नगारो देरावो।" ताहरा सांखलै कह्यो-'बाई ! हणा कुण देखै छै ? म्हांनूं प्रो मारै छ ।'10
ताहरा सुपियारदे आरती करणनू आई।
ताहरा नरबदजीनू कह्यो-'राज ! थे तो आरती करावो छो, पण उवै ठाकुर मनै कीवी छ, सु म्हनै दुख देसी तो ?11 ते ऊपर नरबदजो कह्यो-'यो वचन छ । ऊ तोनू दुख दै तो मोनू तू खबर करै, हू आय ले जाईस ।'12 ___ताहरां नरसिंघरो नाई हेरां ऊभो हुतो, तै साळूरै सहनाण
__ I आरती नही करू गी। 2 कोल वचन दे और गले हाथ लगाकर गई । (“गळं हाथ लारणो' मारवाडी भापाका एक मुहावरा है, जिसका लक्ष्यार्थ होता है कि जिसके गलेके हाथ लगाया जाता है, उसकी शपथके साथ अमुक काम करने या नहीं करने की प्रतिज्ञा करना, होता है। गला काट देनेकी नृशस हत्याके पापका भागी होना भी इसका लक्ष्यार्थ है)। 3 इतनेमे बारात भी आ गई। 4 तव नरबदजी तोरन पर पाये। 5 बाजोट (पाटा) पर आकर खड़े हुए। 6 तब सुपियारदेकी छोटी वहिन आरती करनेको आई। 7 श्रीमान् ! सुपियारदे प्रारती कर रही है। 8 तब-नरबदजीने कहा कि मेरेसे ही मजाक कर रहे हो ? क्या मै अधा हू ? यह सुपियारदे नही हो सकती ? 9 तव (नरवदजीने) अपने लोगोसे कहा कि नगाड़ा बजवानो (युद्धकी तैयारी करो।) 10 तब साखलेने कहा कि बाई ! अब कोन देखता है ? हमको यह मार रहा है। II तब (सांखलेने) नरबदजी को कहा कि श्रीमन् ! आप (सुपियारदेसे) प्रारती तो करवा रहे हैं, परंतु उस ठाकुरने मना किया है और वह फिर मुझे दु ख देगा तो? (मेरी क्या गति होगी ?) -12 यदि वह तेरे को दुख दे तो मुझको खबर देना, मै आ करके इसे ले जाऊंगा, यह मेरा वचन है। . .