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________________ १४२ ] मुहता नैणसीरी ख्यात नरबदजीरी माग देवो । ताहरा साखला कहायो- सुपियारदे तो परणाई, पण बीजी छोटी बेटी छै, सु लेवो । ताहरां नरबदनू राणोजी कह्यो-'वीजी छोटी बेटी सीहडजो थान दोवी छ, जावो, परणोजो। ताहरा नरवद कह्यो-'दीवाणजी! परणीजू, जे म्हनै सुपियारदे आरती करै तो परणीजू । तद दीवाण फुरमायो-'करली" पण नरवद कह्यो-'ना, दीवाण ! अोठी मेल्हीजै ।" ताहरा दीवांण अोठी फेर मेल्हियो।' ताहरा साखला कह्यो-'जु, आरती मुपियारदे करसी। तद नरवदजीरी जान' चढी ।। वासै दीवागरी सभा माहै वात हुई-'जु सुपियारदे पारतो करसो तो नरवदजी परणीजसी ।'11 ताहरा नरसिंघ सीधळ पण उठ बैठो हुतो ।' ताहरां नरसिघ पण वात सुणी । तद नरसिंघ कह्योइतरो कासू हुवो, जु नरवद जोरावरी भारती करासो ?13 तद राणोजीरा लोका कह्यो-'सु तो आरती करसी ?'14 ताहरा नरसिंघ पण उठसू चढियो । घरै आयो। साखलारा पण माणस आया-'जु सुपियारदेनू मेल्हो, वीमाह छै । तद नरसिंघ मेल्है नही ।" अर सुपियारदे कहै-'हू जाईस 128 ताहरां नरसिंघ कह्यो-' आरती न करै तो मेल्हा ।19 ताहरां सुपियारदे कह्यो । तब राणाजीने तुरत ही साखला सीहडको ऊंट सवार भेजकर कहलवाया कि नरवदजीकी मगेतर देप्रो। 2 साखलोने उत्तर में कहलवाया कि सुपियारदे तो व्याह दी, परतु दूसरी उसके छोटी वेटी और है सो व्याह लें। 3 दूसरी उसकी छोटी बेटी सीहडजीने तुमको दे दी है. सो जाकर विवाह करलो। 4 दीवानजी ! व्याह लगा, परंतु इम शत्तं पर कि यदि मेरी प्रारती सुपियारदे परे तो व्याहू । 5 करेगी।. 6 नही, दीवान ! ऊटसवार भेजिये। 7 तब दीवानने फिर अोठी भेजा। 8 आरती सुपियारदे करेगी। 9 बारात। 10 पीछे। II व्याहेंगे। 12 उस समय नरसिंघ सीघल भी वहा बैठा हया था। 13 ऐसी क्या बात होगई जो नरबद जबरदस्ती भारती करवायेगा। 14 सो तो आरती करेगी? 15 तब नरसिंह भी वहासे चढा। 16 सांखलोके आदमी भी आगये कि विवाह है, सो सुपियारदे को भेजों। 17 नरसिंह भेजता नही । 1 8 मै जाऊगी। 19 यदि ग्रारती तू नही करे तो भेज दू ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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