________________
१४४ ]
मुहता नैणसीरी ख्यात कियो। अर नरवदजीर खवास पासै पिचरको एक मुहगै मोलरै अतरसू भरियो तैयार हुतो।
तद नरवदजी हाथ फेर कह्यो-'या सुपियारदे हुवै । तद खवास पिचरको छोड़ियो । सुपियारदेरै लागो। पछै आरती करी । वीमाह हुवो।' नरवदजी हलांणो ले घरै गया।'
सुपियारदे पिण घरे गई। तद उवै नाई नरसिघन कह्यो'राज | आरती सुपियारदे कीधी ।' ताहरां सुपियारदेन नसिघ पूछियो-'क्यां सांखली ! आरती कीवी ?'8 ताहरां कह्यो-'मै न कीवी।' तद नाई कह्यो-'राज ? थां आरती कीवी। मैं साडीरै सहनांण कियो छ ।' अर अतररा पण छाटा लागा छ।10 ताहरां सुपियारदे कूडी हुई।11
तहरा नरसिंघ ताजणा वाह्या । मुसका बांध मात्रै नीचे नांखी।13 अर बीजी बैरनू माणस मेल्ह बुलाई । अर उवैनूं कह्यो-'पाव, माचे पण सूय । तद सुपियारदे कह्यो-'मोनै मार, वाढ, खुसी पड़े सु कर,. पण म्है ऊपर बीजी वैर मांचे ऊपर मती बुलावै ।16 तोई नरसिंघ मांचे ऊपर सोकनू” ले बैठो। ताहरां सुपियारदे माटीरो नाम लेने बोली। कह्यो-'नरसिंघ सीधळ ! तै करणी हुती सो कीवी,' पण जो मैं थारै मांचे आऊं तो भाईरै मांचे आऊं।20
_I तब वहा नरसिंहका नाई जासूमीके लिये प्राया हुआ खडा था, उसने सुपियारदेके सालूके निशान कर दिया। (माळ =लाल रग को एक कीमती प्रोढनी) 2 और नरवदजीके, खवासके पास महंगे मूल्य के अतरमे भरी हुई पिचकारी तैयार थी। 3 तव नरबदजीने हाथ फिराकर कहा-'यह सुपियारदे हो सकती है। 4 तव खवासने पिचकारी छोड दी । 5 विवाह होगया। 6 नरवदजी अपनी पत्नी और दहेज लेकर घर गये। 7 तव उस नाईने नरसिंहको कहा कि भारती सुपियारदेने की। 8 क्यो सांखली ! तूने भारती की ? 9 मैंने साडीके निशान किया है। 10 और प्रतरके छींटे भी लगे हैं। II तव सुपियारदे झूठी पही। 12 तव नरसिंहने चावुक मारे। 13 मुश्क वाघ कर खाटके नीचे डाल दिया। 14 दासीको भेजकर दूसरी स्त्रीको बुलाया। 15 और उसको कहा कि प्राव, खाट पर सो। 16 मुझे मारदो, काटदो, इच्छा हो सो कर, पर मेरे ऊपर खाट पर दूसरी स्त्रीको मत बुलाओ। 17 सौत को। 18 तव सुपियारदे अपने पतिका नाम लेकर बोली। 19/20 कहा कि नरसिंह सींधन ! तेरेको जो करना था सो कर लिया, पर अब जो तेरे साट पर पाक तो अपने भाईके खाट पर ग्राऊं।