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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १३३ रजपूत भला-भला काम पाया। चौहथ इंदो काम आयो' , पण हुता सु सारा ही निरवाया। जीयो ईदो काम आयो । बीजा' ही घणा रजपूत काम आया। नरबदजीरै घाव लागा, एक प्राख फूटी । नरबदजीनू रांणोजी उठाय ले गया। रिणमलजीनू मडोवर बैसाण, टीको दे, राणाजी पधारिया ।' ताहरा सतोजी पण रांणजीरै गया। उठे जाय देवलोक हुवा ।' तठा पछै रिणमलजी नित-री-नित गोठा करै । तै ऊपर सोनगरांरा परधान देखणनू आया । सोनगरांरी ठकुराई नाडूल ।' ताहरा परधानां पाछा जायनै कह्यो-'का तो राठोड़नू परणाईजै, नही तो राठोड़ थांसू आघो नहीं काढे । राठोड थान मारसी ।1 इसो दीसै छै ।12 तद सोनगरा राव रिणमलजीन परणाइया ।13 लोलैजी सोनगरैरी बेटी परणाई ।14 परणायां पछ ही सोनगरां दीठो-'रिणमल भलो नही ।'15 ताहरां सोनगरां रिणमलजीतूं चूक तेवडियो । सोणहर रिणमलजी पोढिया हुता।" तद लोलैजी रिणमलजीरी सासूनू कह्यो-'आज रामीबाई रांड हुसी । ताहरां रिणमलजीरी सासू कह्यो-'भली हुई। एक दीकरी मुई लागी तो कासू हुवै छै ?'19 इतरै लोलजीनू प्यालो दारूरो दियो ।२० ताहरां लोलोजी तो पोढ रह्या ।।1 1-2 चोहथ ईंदा काम आया, इसने जो पन ले रखे थे सब निबाहे। 3 दूसरे । 4 नरबदजीके घाव लगे, एक प्राख फूट गई। 5 नरबदजीको राणाजी उठवा कर ले गये। 6 रिणमलजीको मंडोरमे टीका देकर राणाजी वापिस गये। 7 वहा जाकर मर गये। 8 जिसके बाद रिणमलजी नित्य प्रति दावतें करते हैं। 9 सोनगरोको ठकुराई नाडोलमे। 10 या तो राठौड़को व्याह दें नही तो राठोड तुमको छोडेंगे नही। II राठौड तुमको मार देंगे। 12 ऐसा ढंग दिखाई देता है। 13 तब सोनगरोने राव रिणमलजीको व्याहा। 14 लोलाजी सोनगरेकी वैटी व्याह दी। 15 व्याह देनेके बाद भी सोनगरोंने देखा कि रिणमलका व्यवहार अच्छा नही है। 16 तब सोनगरोंने रिणमलजी को घोखेमे मारनेकी ठानी। 17 शयनघरमे रिणमलजी सोए हुए थे। 18 आज रामीबाई विधवा हो जायेगी। 19 अच्छा हुआ, एक लड़की मृतककी स्त्री (विधवा) हो गई तो क्या बिगड जाता है ? 20 इतनेमे उसने लोलेजीको शराबका प्याला दिया। 21 तव लोलोजी नशेमें सो गये।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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