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________________ ।। श्री गणेशाय नमः ।। अथ वात रिसलजीरी लिख्यते जद राव चूडोजी काम पाया, ताहरा टोकैरो वखत हुवो। ताहरा राव रिणमलजीनू टीको देता हुंता । इतरै' रिणधीर चूडावत दरबार आयो नै सतो चूडावत बैठो हुतो। रिणधीर सतैनू देख, कह्यो-'सता । तनै टीको देवा, जो क्यु ही देवै तो।' ताहरां सतो वोलियो-'राज | टोको रिणमलजीरो छ । ताहरा रिणधीर कह्यो'राज | दुहाई छ ।" तद' सतै रणधीरन कही-'धरती मा अाध थाने देवां ।' ताहरा रिणधीर पागड़ो छाड आयनै सतैरै टीको कियो । रिणमलजीन कह्यो-'जो पटो लेवो तो प्रावो।' ताहरा रिणमलजी पटो नाकार नीसरिया ।1० रांण मोकल पासै गया। रांण मोकल रिणमलजीरो ऊपर कियो ।1 कह्यो-'सतैनू दूर कर तनै टीको दिरावस्या। तद रांणो मोकल, राव रिणमल चढिया ।12 ताहरा सतो साम्हो आयो अर रणधीर नागोरीखाननू ले आयो। प्रायनै सीम माथै वेढ हुई। नागोरीखांनरै मुहडै आया रिणमलजी 114 अर सतो नै रिणधीर राणे सांम्हा आया। 15 रिणधीर, सते प्रागै राणोजी भागा। नागोरीखान रिणमलजी आग भागो। तद सतरा लोकां कह्यो-'फतै सतैरी ।'16 रिणमलजीरा लोगा कह्यो-'फतै रिणमलजीरी ।' पछे दोनाई भाईया रांम-राम किया । आपस माहै वतळावण हुई।18 रिणमलजी कह्यो-'नागोरोखाननू वळे ले आवज्यो ।'1° ताहरां सतै कह्यो-'थेई रिणमलजी ! राणैजीन पूछज्यो।' I इतनेमे। 2 और। 3 बैठा हुआ था। 4 कुछ। 5 टीकेका अधिकार तो रणमलजीका है। 6 दुहाई देकर कहता हू। 7 तब । 8 धरतीमे आधा भाग तुमको देता हू। 9 घोडेसे उतर कर। 10 इनकार करके निकल गये । II सहायता की। 12 तब राना मोकल और राव रिणमल चढ कर पाये। 13 सीमा ऊपर लडाई हुई । 14 नागोरीखानके सम्मुख रिणमलजी हुए। 15 और सत्ता रणधीर राणाके सम्मुख भिडे। 16 तव सत्तेके लोगोने कहा-'विजय स तेकी।' 17 फिर दोनो भाईयोने परस्पर मिल कर एक दूसरेको राम-राम किये। 18 परस्पर बातचीत हुई। 10 रिणमलजीने कहा-'नागोरीखानको और लाना।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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