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________________ १२० ] __ महता नणसोरी ख्यात कोई परमेश्वररो ख्याल हुवो, जु कबाण काढनै रावजोरै गळे माह घालण करै । ताहरा एक वेळा तो कबांण ऊपर सै रहो गळारै ।। बीजै फेरै घोडैरै चावखो मारने कवाण गढ माहै घाती । तरै किहीके वासासू आयनै प्रयागदासनू घाव कियो । ताहरा प्रयाग दोय टुकडा होय पडियो । अर कवाण राव मालदेजीरै गळे माहै हीज रही। अर उवै अाघा होज गया । अर प्रो हेठो पडियो। प्रथोराज लडै छ, नगो भारमलोत लडै छ। राव मालदेजीरी गकीरी फोज सरव भागी। दोय सिरनार लडै छ । ताहरा हीगोळो पीपाडो प्रथोराजजीरै चाकर हुतो, तिकणनू प्रथीराजजी तरवार बगसी हुती । ताहरा हीगोळे कहियो-'प्रथीराजजी ! आप तरवार बगसी म्हनै, सो द्यो।' ताहरा प्रथोराजजी कह्यो-'रे, हीगोळा । रूडी वेळा माहै मागो ।' पण नीलैरो असवार श्रावै छै, सु सही सुरताण जैमलोत आयो ।' प्रायन, प्रावतै ही प्रथीराजन वग्छी वाही।10 ताहरा प्रथीराज बरछी टाळ नाखी ।। कहियो-'गीगा | तू नाव, थारै बापन कहि, ज्यु प्रथीराजन घाव करै ।2 पाछै प्रथीराज कडियासू तरवार तोड़नै हीगोळे पीपाडनूं बगसी । ताहरां कहियो-'भलो प्रथीराज । मारवाड़रो सोमत ! 14 ताहरां प्रथीराजजी कहियो-'ना भाई | कुवर मेडतेरो ही भलो ।' प्रथीराज बडो रजपूत । सु प्रथीराजजीरै साम्हा लोह न लागतो, जोगीरो वरदान हुतो। ताहरा अखैराज भादावत वांसासू I तब परमेश्वरने उसे क्या सुझाई सो कमान निकाल कर रावजीके गलेमे डालने लगा । सो एक वार तो वह गलेके ऊपर ही रह गई। 2 दूसरी वार घोडेके चावुक मार कर गलेमे डाल दी। 3 सत्र किमीने पीछेमे आकर प्रयागदास पर प्रहार कर दिया । 1 और वे लोग दूर चले गये। 5 और यह नीचे गिर गया। 6 पीपाडा हीगोला पृथ्वीराजजीका वाकर या। 7 उसको। 8 रे हीगोला । अच्छे समय पर तैने तलवार मागी। 9 परतु नीले घोडे पर सवार निश्चय ही मुरतान जैमलोत पाया दिखता है। 10 वींका प्रहार किया। । पृथ्वीराजने बीको टाल दिया। 12 और कहा- वत्स | तू मत श्रा, तेरे वापको जाकर कह मो वह आकर पृथ्वीराज पर घाव करे। 13 पीछे पृथ्वीराजने अपनी कमरमे वंची तलवारके पट्टे को तोड कर हीगोले पीपाडेको वकसीम करदी । 14 हीगोलाने कहा- 'वाहरे पृथ्वीराज । मारवाड़के सामत ! 15 पृथ्वीराजजीके सम्मुख कोई घाव नहीं कर सकता था, उसे योगीका वरदान था।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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