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________________ १०० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात __ताहरां पातसाह वीरमदेन कहियो-'जु, म्हारै एक पठाण कहै छ, या वात थारै दाय आवै के नही। ताहरां वीरमदेजी कह्योपातसाह सलामत ! पठाणनू म्हें एक वार दीठो छ । एकर वळे पठाणनू बुलायजै, ज्युं हूं देखू ।' ताहरां पठाणन बुलायो । पछै पठाण आयो । ताहरा वीरमदेजी देखनै कह्यो-'पातसाह सलामत ! दोय पठाण इसडा वळे तेडो। आपणी तरफरा झै तीन मेलो।' अर पराया वीदो भारमलोत मेलसी।' तिको ईयां तीनाहीनू मारनै, हथियार लेन, साजो-साबतो परहो जासी । आ तो पातसाह सलामत ! आप थापो ही मतां । पछै वीरमदेजो समचार कहाड़िया मालदेवजीनू । ताहरा राव मालदेवजीरै मनमे हुई । खबर कराई, सु अमरावांरै डेरै सवाया" रुपिया हुअा । ताहरा मालदेवरै मनमे तो भय हीज ऊठियो । वीरमदेजी के वातां ठहराई, तिकासू भय हुवो।1 पछै प्राथणरो पहोर छै, ताहरा जैतो, कूपो, अखैराज सोनगरो कपाजीरै डेरैमे बैठा छै। जैतो ऊदावत अर खीमो ऊदावत रावजीर विचै फिरै छै । जिकू रावजी कहै छै जिकू ईंयानू14 प्राय कहै छ । अ कहै छै सु रावजीनू जाय कहै छै । 'जु म्हे थानू जोधपुर पुहचता करस्या ।16 उणारो” जबाब सुणनै रावजी सुखपाळ वैसिनै हालिया । तरै रावजीरो हाथ खीमैरै हाथरै ऊपर छै, अर चालिया जावै छै । ताहरां जैतसी ऊदावत बोलियो-'सीख करो", लोग अापणी वाट जोवै छै । ताहरां खीमोजी बोलिया नही। ताहरा 1 यह बात तुम्हारे ऊँचती है कि नहीं। देखा है। 3 -एक बार पुन.। 4 दो पठान ऐसे और बुला लिये जायें। 5 अपनी पोरके ऐसे तीन आदमियोको भेज दें। 6 और सामने वाले (शत्रु) वीदा भारमलोतको भेज देंगे। 7 वह ऐसा है जो इन तीनो को ही मार कर के इनके हथियार लेकर सकुशल निकल जायेगा। 8 बादशाह सलामत । यह पत्रायती तो श्राप मुकर्रर करें ही नहीं। 9 अधिक। 10 भय उत्पन्न हुा । II वीरमदेवजीने कई बातें ऐसी बनाईं जिससे भय उत्पन्न हो गया। 12 सध्याका समय है। 13 जो वात। 14 इनको। 15 तुमको। 16 पहुँचा देंगे। 17 उनका। 18 रावजी सुखपालमे बैठ कर चले। 19 रवाना हो जाओ। 20 लोग अपनी प्रतीक्षा कर रहे है।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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